पर्यावरण संरक्षण समय की सबसे बडी़ जरूरत है–ज्ञानेन्द्र रावत


संगोष्ठी में श्री रावत एटा रत्न से सम्मानित किए गये
एटा। 3 फरवरी। आज देश विकास के नित नये-नये कीर्तिमान स्थापित कर रहा है लेकिन इसके बावजूद कुछ सवाल ऐसे हैं जो आज भी अनसुलझे हैं। असलियत यह है कि इस विफलता ने मानव जीवन को ही संकट में डाल दिया है। पर्यावरण एक ऐसा ही विषय है, जिसके सामने सरकार के सारे प्रयास बेमानी साबित हो रहे हैं। वह सवाल चाहे जल प्रदूषण का हो, वायु प्रदूषण का हो, औद्योगिक प्रदूषण का हो, वाहनों का प्रदूषण हो, जीवनदायी नदियों की अविरलता का हो, उनके प्रदूषण का हो, हरित संपदा के ह्वास का हो, वृक्षों की विविधता के संरक्षण का हो, मृदा प्रदूषण का हो, वाहन से हो रहे प्रदूषण का हो, ओजोन के प्रदूषण का हो, ध्वनि प्रदूषण का हो, मानवीय, जैविक या रासायनिक कचरे के निष्पादन का हो, प्लास्टिक प्रदूषण का हो, या डिजीटल प्रदूषण का सवाल हो, उपवनों के संरक्षण का सवाल हो, आदि-आदि समस्याओं के निराकरण पर अंकुश लगा पाने में मिली विफलता ने प्राणी मात्र के जीवन को संकट में डाल दिया है। इससे पक्षियों की आबादी भी अछूती नहीं रही है। यह भी सच है कि यह सब प्रकृति के प्रतिशोध का नतीजा है जिसे हम भुगतने को विवश हैं। धरती पर दिन-ब-दिन गहराता जा रहा संकट इसका जीता-जागता सबूत है जिसमें जलवायु परिवर्तन का योगदान अहम है। इससे साल-दर-साल होते गर्म दिनों की संख्या, चरम मौसमी घटनाओं में बढ़ोतरी, तापमान में बढ़ोतरी के टूटे रिकार्ड, ला-नीना की आशंका के चलते प्राकृतिक आपदायें यथा-बेतहाशा बारिश या सूखे की भयावहता को नकारा नहीं जा सकता। राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन ने तो इसकी घोषणा भी कर दी है।

यह भी सत्य है कि स्वच्छ पर्यावरण के बिना जीवन की कल्पना बेमानी है। इस पर विचार करना आवश्यक हो गया है कि आखिर हमने पर्यावरण जो हमारे जीवन का आधार है, उसे निहित स्वार्थ और भोगवाद की लालसा के चलते किस सीमा तक विषाक्त कर डाला है जिसकी भरपायी इस युग में तो असंभव प्रतीत होती है।

निष्कर्ष यह है कि अगर हमें यह सुनिश्चित करना है कि यह प्रकृति एक संसाधन के रूप में, स्रोत के रूप में, मित्र के रूप में हमारी आने वाली पीढि़यों को उपलब्ध रहे, तो हमें अपनी संतति और आने वाली पीढि़यों के लिए अपनी जिम्मेदारी का अहसास करते हुए प्रकृति से मेलजोल और प्यार करना सीखना होगा। उसी दशा में पर्यावरण संरक्षण की आशा की जा सकती है। इसके लिए प्रशासन के साथ-साथ समाज को भी अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए आगे आना होगा। देश की सुप्रीम अदालत भी मानती है कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बेहद जरुरी है। देश की प्रगति तभी संभव है जबकि विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को भी प्रमुखता दी जाये। सबके सच्चे प्रयास से ही पर्यावरण बचेगा, इस सच्चाई को झुठलाया नहीं जा सकता। उक्त विचार श्री रावत आज यहां प्रदर्शनी पंडाल में भाजपा मीडिया सेल के प्रभारी श्री विक्रांत माधौरिया के संयोजकत्व व कैलाश सविता के सहसंयोजकत्व में आयोजित पर्यावरण संगोष्ठी के अवसर पर व्यक्त कर रहे थे। संगोष्ठी में श्री रावत को संगोष्ठी के मुख्य अतिथि पूर्व विधायक श्री प्रतिपालन वर्मा, महिला एवं बाल विकास बोर्ड उ०प्र० के निवर्तमान अध्यक्ष श्री कमर आलम, क्षेत्रीय विनाशकारी श्री आदित्य सक्सेना,सामाजिक कार्यकर्ता श्री प्रदीप रघुनंदन व नगर पालिका अध्यक्षा श्रीमती सुधा गुप्ता ने एटा रत्न सम्मान से सम्मानित किया।
संगोष्ठी का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर व दीप प्रज्ज्वलित कर उक्त अतिथियों ने किया। संगोष्ठी का संचालन ख्यात कवि कशिश एटवी ने किया।
संगोष्ठी में जिले के विद्यालयों के 51 छात्र/छात्राओं को प्रख्यात पर्यावरणविद पद्मविभूषण श्री सुंदर लाल बहुगुणा की स्मृति में बाल वृक्ष मित्र सम्मान से सम्मानित किया गया। संगोष्ठी में स्थानीय जवाहर लाल नेहरू डिग्री कालेज के पूर्व प्राचार्य डा० राकेश सक्सेना ने जहां पर्यावरण संरक्षण में आमजन की भूमिका की आवश्यकता पर बल दिया, वहीं प्राचार्य श्री मनोज तिवारी ने पर्यावरण संकट पर चिंता व्यक्त करते हुए मानव जीवन पर भयावह संकट की चेतावनी से जागरूक किया। नगर पालिका अध्यक्षा श्रीमती सुधा गुप्ता ने वर्तमान में पर्यावरण की बिगड़ता दशा पर चिंता जाहिर करते हुए इस विषय पर श्री माधौरिया के प्रयास की प्रशंसा की और ऐसे प्रयास लगातार जारी रखने की आशा व्यक्त की।
संगोष्ठी में भाजपा के पूर्व सदर विधायक श्री प्रजापालन वर्मा ने संगोष्ठी के शुभारंभ में जीवन में पर्यावरण की महत्ता पर प्रकाश डाला और संरक्षण पर बल दिया। संगोष्ठी में जिलाध्यक्ष श्री दिनेश वशिष्ठ, क्षेत्रीय विनाशकारी श्री आदित्य सक्सेना आई एफ एस , समाजसेवी श्री मेघाव्रत शास्त्री, दर्पण उपाध्याय, सुखनवर सिंह यादव आदि वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किये। संगोष्ठी के दौरान विभिन्न विद्यालयों की छात्राओं द्वारा मनोहारी संगीतमय नृत्य प्रस्तुति ने सभी उपस्थित जनों का मन मोह लिया। अंत में संगोष्ठी के संयोजक विक्रांत माधौरिया व सह संयोजक कैलाश सविता ने सभी अतिथियों व उपस्थित जनों का संगोष्ठी की सफलता हेतु आभार व्यक्त किया।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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