किसी चीज़ को श्राप या आशीर्वाद मत मानो। व्याख्या मत करो, और अचानक तुम देखोगे कि सब कुछ सुंदर है

एक व्यक्ति के पास एक बहुत ही सुंदर घोड़ा था, इतना दुर्लभ कि सम्राटों ने भी उसे खरीदने की पेशकश की थी, चाहे कीमत कुछ भी हो। लेकिन उसने बेचने से इनकार कर दिया। एक सुबह वह पाया कि उसका घोड़ा चोरी हो गया। पूरा गाँव सहानुभूति जताने के लिए इकट्ठा हो गया और कहने लगा,
“यह कितना दुर्भाग्यपूर्ण है! तुम इसे बेचकर बहुत पैसा कमा सकते थे। तुम जिद्दी और मूर्ख थे। अब घोड़ा चोरी हो गया।”

वृद्ध व्यक्ति हँसा और बोला,
“फालतू बातें मत करो! सिर्फ इतना कहो कि घोड़ा अस्तबल में नहीं है। भविष्य आने दो, फिर देखा जाएगा।”

पंद्रह दिन बाद ऐसा हुआ कि घोड़ा वापस आ गया, और वह अकेला नहीं आया – अपने साथ जंगल से बारह जंगली घोड़े भी ले आया। पूरा गाँव इकट्ठा हुआ और कहने लगा,
“बूढ़ा सही था! उसका घोड़ा वापस आ गया और अपने साथ बारह सुंदर घोड़े भी ले आया। अब वह जितना चाहे उतना धन कमा सकता है।”

वे व्यक्ति के पास गए और कहने लगे,
“क्षमा करें। हम ईश्वर और भविष्य के रहस्यों को समझ नहीं सके। लेकिन आप महान हैं! आपको कुछ आभास था।”

बूढ़े ने कहा,
“बकवास मत करो! मैं केवल इतना जानता हूँ कि घोड़ा बारह घोड़ों के साथ वापस आया है – कल क्या होगा, कोई नहीं जानता।”

अगले दिन ऐसा हुआ कि वृद्ध व्यक्ति का इकलौता बेटा एक नए घोड़े को साधने की कोशिश कर रहा था और गिर गया। उसके दोनों पैर टूट गए। पूरा गाँव फिर इकट्ठा हुआ और कहने लगा,
“किसी को कुछ पता नहीं होता – आप सही थे; यह एक अभिशाप साबित हुआ। अच्छा होता कि घोड़ा वापस न आता। अब आपका बेटा पूरी जिंदगी के लिए अपाहिज हो गया।”

वृद्ध व्यक्ति ने कहा,
“आगे मत बढ़ो! बस इतना कहो कि मेरे बेटे के पैर टूट गए हैं – बस इतना ही।”

पंद्रह दिन बाद ऐसा हुआ कि सभी जवान लड़कों को सरकार जबरन युद्ध के लिए ले गई क्योंकि देश युद्ध में जा रहा था। केवल उस वृद्ध व्यक्ति का बेटा बच गया, क्योंकि वह लायक नहीं था।

पूरा गाँव फिर इकट्ठा हुआ और कहने लगा,
“हमारे बेटे चले गए! कम से कम आपका बेटा आपके पास है। हो सकता है वह अपाहिज हो, लेकिन वह यहाँ है। हमारे बेटे चले गए हैं, और दुश्मन बहुत मजबूत है; वे सभी मारे जाएंगे। बुढ़ापे में हमारा कोई सहारा नहीं रहेगा, लेकिन कम से कम आपके पास आपका बेटा है। शायद वह ठीक हो जाए।”

लेकिन वृद्ध व्यक्ति ने कहा,
“सिर्फ इतना कहो – कि तुम्हारे बेटों को सरकार ले गई और मेरा बेटा बच गया। कोई निष्कर्ष मत निकालो।”

सिर्फ तथ्य कहो! किसी चीज़ को श्राप या आशीर्वाद मत मानो। व्याख्या मत करो, और अचानक तुम देखोगे कि सब कुछ सुंदर है।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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