तुरजी का झालरा Jodhpur
इतिहास के अनुसार जोधपुर के महाराजा अभयसिंह की महारानी जैकंवर तूवरजी रानी ने सन 1740 में झालरा बनवाया था जिसके कारण उसका नाम तुरजी का झालरा पड़ा। झालरे के पानी का प्रयोग मुख्य रूप से महिलाएं ही करती थीं। क्योंकि पानी भर कर लाना और एकत्रित करना महिलााओं का ही काम था। यह झालरा दशकों से गहरे पानी में डूबा हुआ है। जीर्णोद्धार से 200 फीट गहरी बेमिसाल विरासत सामने आई है। यह जोधपुर का घाटू लाल पत्थर तराश कर बनाई गई है। इसमें आकर्षक नृत्य करते हाथियों की महीन लुभावनी नक्काशी, पानी के मध्यकालीन शेर और गाय मुख्य स्रोत नल हैं।