

समर्पण केवल शब्दों में नहीं, जीवन के हर कर्म में झलकना चाहिए
-सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज
एटा, 13 मई 2025:- संत निरंकारी मिशन द्वारा समर्पण दिवस के अवसर पर युगदृष्टा बाबा हरदेव सिंह जी महाराज की पुण्य स्मृति में एक भावनात्मक निरंकारी सत्संग का आयोजन समर्पण दिवस के रूप में निधोली रोड स्थित अविनाशी सहाय आर्य विद्यालय में किया गया।
समर्पण दिवस के अवसर पर निरंकारी संत ने श्रद्धालुओं को संबोधित किया कि सतगुरु बाबा हरदेव सिंह जी महाराज का जीवन हर क्षण प्रेम, त्याग, सेवा और शिक्षाओं से परिपूर्ण था। ऐसा ही भक्ति समर्पण वाला जीवन हम सभी का हो यह समर्पण केवल शब्दों तक सीमित न रहे, बल्कि जीवन के व्यवहार में उतरे।
निरंकारी संत ने बताया कि सतगुरु माता जी महाराज का कहना है कि सच्चा आदर और प्रेम केवल वाणी से नहीं, बल्कि कर्मों से प्रकट होता है। यदि हम बाबा जी की शिक्षाओं को केवल सोशल मीडिया तक सीमित रखते हैं, तो वह सच्चा समर्पण नहीं। समर्पण का वास्तविक रूप तभी प्रकट होता है जब हम अपने भीतर झांकें और आत्म-विश्लेषण करें क्या हम वास्तव में विनम्रता, क्षमा और प्रेम जैसे गुणों को जी रहे हैं? उन्होंने अपने जीवन के हर पहलू पर साध संगत को महत्ता दी।
समर्पण दिवस केवल एक तिथि नहीं, बल्कि यह अवसर है यह सोचने का कि क्या हम वाकई अपने जीवन को इन शिक्षाओं से जोड़ पाए हैं? प्रेम, एकता, मानवता और विनम्रता को अपने भीतर बसाकर ही हम इस दिवस को सार्थक बना सकते हैं। यही बाबा जी के प्रति सच्चा आदर और समर्पण होगा।
इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने विचार, गीत, कविता और भजनों के माध्यम से बाबा जी की करुणा, प्रेम और समर्पण की गूंज को जीवंत किया।
निरंकारी संत ने श्रद्धेय अवनीत जी का स्मरण करते हुए उन्हें एक सच्चा गुरसिख बताया, जिन्होंने अपने आचरण से समर्पण की मिसाल प्रस्तुत की।
मीडिया सहायक अमित कुमार ने बताया कि समर्पण दिवस के अवसर पर, सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के कर-कमलों द्वारा ‘हरदेव वचनामृत’ का विमोचन किया गया। यह एक सटीक और सारगर्भित संकलन है, जिसमें युगदृष्टा बाबा हरदेव सिंह जी के दिव्य विचार, उपदेश और सत्संग वचनों को संयोजित किया गया है।
‘हरदेव वचनामृत’ केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि वह आध्यात्मिक अमृत है जो पाठक को बाबा जी की शिक्षाओं की गहराई से जोड़ता है।
इस संकलन में प्रेम, सेवा, विनम्रता, एकत्व और निरंकार से जुड़ाव जैसे मूल तत्वों को सरल एवं मार्मिक भाषा में प्रस्तुत किया गया है। यह वाणी संग्रह, बाबा जी की आत्मा की आवाज है जो हर युग, हर पीढ़ी के लिए पथप्रदर्शक बनकर जीवन को सकारात्मक दिशा देने का कार्य करेगी।
निःसंदेह, बाबा हरदेव सिंह जी की दिव्य छवि हर श्रद्धालु के अंतर्मन में एक अमिट स्मृति बन चुकी है। उनके अनगिनत उपकारों के लिए संपूर्ण निरंकारी संसार सदा कृतज्ञ रहेगा।
आज सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज, बाबा जी की शिक्षाओं को आगे बढ़ाते हुए ब्रह्मज्ञान की ज्योति से मानवता को आलोकित कर रहे हैं।