महाकुम्भ के समापन पर वायुसेना की ‘महासलामी’, संगम के ऊपर गरजे सुखोई

महाशिवरात्रि पर संगम के आसमान में भारतीय वायुसेना का एयर शो, सुखोई, एएन-32 और चेतक ने भरी उड़ान

सेना के जांबाज पायलटों ने हवा में दिखाई कलाबाजियां, गर्जना सुन श्रद्धालुओं ने गर्व और उत्साह से बजाईं तालियां

जय श्री राम, हर हर गंगे, हर हर महादेव के साथ मोदी-योगी के भी भी लगे जयकारे

एयर शो की फोटो और वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे श्रद्धालु

प्रयागराज। महाकुम्भ नगर, महाकुम्भ पर महाशिवरात्रि के अंतिम स्नान पर्व के दौरान भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने पूरे आयोजन को महासलामी दी है। बुधवार दोपहर वायुसेना के विमानों की तेज गर्जना सुन श्रद्धालुओं ने आसमान की ओर देख गर्व और उत्साह से तालियां बजानी शुरु कर दी। इस दौरान लोग जय श्री राम, हर हर गंगे, हर हर महादेव के साथ मोदी-योगी के भी जयकारे लगाने लगे। इसी के साथ वायुसेना के एयर शो के फोटो और वीडियो बनाकर श्रद्धालु सोशल मीडिया पर शेयर करने लगे। वायुसेना के एक अधिकारी के अनुसार महाकुम्भ में आए श्रद्धालुओं का अंतिम स्नान पर्व पर संगम क्षेत्र के ऊपर भव्य एयर शो से अभिवादन किया गया। इस पावन अवसर पर जहां गंगा तट पर डेढ़ करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु डुबकी लगा रहे थे, वहीं आकाश में सुखोई, एएन 32 और चेतक हेलीकॉप्टर आसमान से श्रद्धालुओं का उत्साह बढ़ा रहे थे। इस ऐतिहासिक पल ने श्रद्धालुओं को रोमांचित कर दिया।
महाकुम्भ के समापन अवसर पर भारतीय वायुसेना के जांबाज पायलटों ने हवा में अद्भुत कलाबाजियां दिखाईं। विमानों की तेज गर्जना सुन श्रद्धालुओं ने आसमान की ओर देखा, जहां सुखोई और एएन 32 और चेतक का शानदार प्रदर्शन चल रहा था। इस रोमांचक नजारे को श्रद्धालुओं ने अपने मोबाइल कैमरों में कैद किया और सोशल मीडिया पर साझा किया। लोगों ने इसे महाकुम्भ का यादगार पल बताया। जिस वक्त महाकुम्भ में संगम के ऊपर एयर शो चल रहा था, उसे देख श्रद्धालु गर्व और उत्साह से तालियां बजाने लगे।
महाकुम्भ के अंतिम दिन गंगा के तट पर जहां साधु-संतों और श्रद्धालुओं की आस्था की दिव्यता नजर आई, वहीं आकाश में वायुसेना की शौर्य और पराक्रम भी देखने को मिला। दोनों ने मिलकर इस महापर्व के समापन को ऐतिहासिक बना दिया। भारतीय वायुसेना के इस रोमांचकारी एयर शो के साथ ही महाकुम्भ का समापन हुआ। यह आयोजन श्रद्धालुओं के लिए एक अविस्मरणीय और गौरवशाली अनुभव बन गया।
राम आसरे

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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