जांच अधिकारी सुरेंद्र बाबू दोहरे का दोहरा खेल

जांच अधिकारी सुरेंद्र बाबू दोहरे का दोहरा खेल

कासगंज,एंटी करप्शन फाउंडेशन करेगी पर्दाफाश , न्यायालय तक करेगी पीड़ित की मदद

आईपीसी 313 व 326 में पंजीकृत था मुकदमा

थाना कोतवाली जैथरा में दिनांक 12/4/2023 को पंजीकृत मु०अ०सं० – 0116/2023 में जांच अधिकारी सुरेंद्र बाबू दोहरे की दोहरी नीति सामने आई है ।

सभी सक्षम साक्ष्य होने के बावजूद अपराधी को बचा ले गए सुरेन्द्र बाबू दोहरे ?

शिकायतकर्ता जनवेश कुमार ने थाना कोतवाली जैथरा में रिपोर्ट दर्ज कराई के उसकी गर्भवती पत्नी रीतू का झोलाछाप डॉक्टर रामनरेश व उसके पुत्र अखिलेश ने उपचार किया था। इनके द्वारा किए गए गलत उपचार से पत्नी का गर्भ खंडित हो गया एवं उसकी नेत्रों की ज्योति भी प्रभावित हो गई।

इस पूरे प्रकरण की जांच , जांच अधिकारी सुरेंद्र बाबू दोहरे कर रहे थे , उन्हें इस प्रकरण में कुछ भी गलत या असामान्य नहीं लगा और इसीलिए उन्होंने इस मुकदमे में बिना किसी आरोपपत्र के फाइनल रिपोर्ट लगा दी ।

अब इस पूरे प्रकरण का दूसरा स्वरूप भी आपको दिखाते हैं

जब एंटी करप्शन फाउंडेशन को इस पूरे प्रकरण का पता चला तो उन्होंने झोलाछाप डॉक्टर रामनिवास का इसके पुत्र अखिलेश की मुख्य चिकित्सा अधिकारी एटा से शिकायत की , एंटी करप्शन फाउंडेशन की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने इस झोलाछाप डॉक्टर रामनरेश व इसके पुत्र अखिलेश की क्लीनिक की जांच कराई तो पता चला कि यह वास्तव में झोलाछाप है , इसके पास चिकित्सा करने का कोई भी वैध प्रमाणपत्र या पंजीकरण नहीं है और इसी क्रम में झोलाछाप रामनरेश व इसके पुत्र अखिलेश की अवैध क्लिनिक पर कार्यवाही करते हुए क्लीनिक को सील कर दिया गया ।

अब इस प्रकरण से यह तो सिद्ध हो गया कि झोलाछाप डॉक्टर रामनरेश्वर इसका पुत्र अखिलेश किसी का भी उपचार करने के लिए योग्य नहीं है तो फिर कैसे जांच अधिकारी सुरेंद्र बाबू दोहरे ने इनको क्लीन चिट दे दी ?

जनवेश कुमार की पत्नी रीतू का उपचार इसी झोलाछाप रामनरेश व इसके पुत्र अखिलेश ने किया था , इस बात को प्रमाणित करने वाले गवाह भी मौजूद हैं , तो यह गवाह जांच अधिकारी सुरेंद्र बाबू दोहरे को क्यों नहीं दिखाई दिए ?

इस घटना के बाद जब जनवेश कुमार अपनी पत्नी की आंखों की जांच करने के लिए सरकारी जिला चिकित्सालय ले गया तो पता चला कि उसकी पत्नी की आंखों की ज्योति प्रभावित हुई है और उसे इस बात का प्रमाण पत्र भी जिला चिकित्सालय से दिया गया ।

यह मुकदमा धारा 313 व 326 जैसी गंभीर धाराओं में लिखा हुआ था , जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी को झोलाछाप रामनरेश इसका पुत्र अखिलेश झोलाछाप दिखाई दे गए तो जांच अधिकारी सुरेंद्र बाबू दोहरी को क्यों नहीं दिखे ?

सुरेंद्र बाबू दोहरे को लग रहा होगा कि उनके इस अन्याय के विरुद्ध कोई खड़ा नहीं होगा लेकिन वह शायद भूल गए कि एंटी करप्शन फाउंडेशन जब कोई काम अपने हाथ में ले लेती है तो उसकी मंजिल तक पहुंचाए बिना दम नहीं लेती ।

शायद दोहरे साहब यह भूल गए कि पुलिस से ऊपर न्यायालय होता है जो न्याय करता है ।

एंटी करप्शन फाउंडेशन पूरी तरह से अब इस प्रकरण का पर्दाफाश करेगी एवं गलत काम करने वाली इस झोलाछाप को बचाने वाले लोगों के विरुद्ध भी न्यायालय से दण्डित करवाएगी , चाहे वह कितने ही रसूखदार क्यों ना हो ।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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