चन्दन की कहानी बहन को नौकरी मिली लेकिन 6 महीने बाद ही निकाल दिया। चौक पर मूर्ति लगी लेकिन आज भी ढकी हुई

कासगंज के चंदन गुप्ता को पहचानते होंगे! सीएम योगी के कट्टर समर्थक थे। कट्टर इतने की उनके सीएम बनने पर भंडारा किया था। 26 जनवरी 2018 को विहिप ने तिरंगा यात्रा के लिए प्रशासन से इजाजत मांगी। प्रशासन ने मना कर दिया। क्योंकि हालात बेहतर नहीं थे। इसके बाद भी करीब 100 की संख्या में बाइक से तिरंगा यात्रा निकाली गई। मुस्लिम गलियों में जमकर नारेबाजी हुई। इस दौरान झड़प हो गई। गोलियां चली। एक गोली चंदन को आकर लगी और मौके पर ही मौत हो गई।

इसके बाद जमकर हंगामा हुआ। मुस्लिमों की दुकानें जलाई गई। प्रशासन को तीन दिन तक इंटरनेट बंद करना पड़ा। कई दिग्गज नेता चंदन की अंतिम यात्रा में पहुंचे। परिवार को आर्थिक मदद, बहन को नौकरी, चौक पर मूर्ति लगवाने का वादा किया। बहन को नौकरी मिली लेकिन 6 महीने बाद ही निकाल दिया। चौक पर मूर्ति लगी लेकिन आज भी ढकी हुई है। किसी नेता को फुर्सत नहीं कि उसका उद्धाटन कर सके। परिवार कोर्ट-कचेहरी के चक्कर में फंसा हुआ है। जो उस वक्त चंदन गुप्ता अमर रहे कर रहे थे अब वह भूल गए।

यह सब बातें इसलिए बता रहा हूं क्योंकि हर 6 महीने में दंगो की भेंट ऐसे ही मामूली परिवारों के लोग चढ़ते हैं। इनकी लाशों पर सियासत होती है। खूब वादे होते हैं लेकिन हकीकत में कुछ नहीं बदलता। सलाह सिर्फ इतनी है कि जब आप नहीं थे तब भी धर्म था, जब आप नहीं रहेंगे तब भी धर्म रहेगा। आपके बचाने से बचेगा नहीं, किसी के चाहने से खत्म नहीं होगा। आप बस अपना ख्याल रखिए। उग्रता और कट्टरता से दूर रहिए। सोशल मीडिया पर जो आपको भड़का रहे हैं इनके पास अच्छी नौकरी है। इनके बच्चे सेट हैं। आपको अपना देखना है।

About The Author

निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

Learn More →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× अब ई पेपर यहाँ भी उपलब्ध है
अपडेट खबर के लिए इनेबल करें OK No thanks