चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व :

मानुषिक सृष्टि नवसंवत्सर १९६०८५३१२६/1,96,08,53,126 तथा चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रम संवत् २०८२/2082 तदनुसार (३०/30मार्च, २०२५/2025)” की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ।

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व :

बसंत ऋतु में इसी दिन मनुष्यों की प्रथम उत्पत्ति 1,96,08,53,126 वर्ष पूर्व हुई थी।

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था।

महाराज युधिष्ठिर का राज्याभिषेक इसी दिन हुआ।

2082 वर्ष पूर्व सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन अपना राज्य स्थापित किया। उसी दिन से प्रसिद्ध विक्रमी संवत् प्रारंभ हुआ।

150 वर्ष पूर्व महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन को आर्य समाज की स्थापना दिवस के रूप में चुना। आर्य समाज वेद व ईश्वर के सच्चे स्वरूप को समझाने वाला एक अद्वितीय संगठन है।

विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना।

इसी दिन से वसंत ऋतु का आरंभ होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है।

फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है।
इस अवसर पर हम परस्पर एक दूसरे को नववर्ष की शुभ कामनाएँ दें।

इस मांगलिक अवसर पर अपने-अपने घरों पर भगवा पताका लहरायें। वेद आदि सद् शास्त्रों के स्वाध्याय का संकल्प लें।

घरों एवं धार्मिक स्थलों में हवन यज्ञ के कार्यक्रमों का आयोजन अवश्य करें ।

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

आर्यसमाज
आत्मोन्नति का एक उत्कृष्ट केन्द्र

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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