उठो जागो जब उठो तब सवेरा


भारत में पत्रकारों को फर्जी बताकर, उनके बढ़ते वंश को दमन करना आसान नही
दसवीं पास व्यक्ति देश का शिक्षा मंत्री बन सकता है और अनपढ़ विधायक, सांसद और मंत्री लेकिन स्नातक पास पत्रकार नहीं बन सकता…..
ये है हमारे देश का सिस्टम
कई आलाधिकारी, संघ के निदेशक सरकारी खजाने को लूटकर करोड़पति बन रहे है और कई मेडिकल ऑफिसरो की दरियादिली की वजह से देश में फर्जी डॉक्टरों का वंश तेजी से बढ़ रहा है। सरकारी डॉक्टर्स प्राइवेट हॉस्पिटलों में ओवर टाइम करते है। सरकारी आवासों में प्राइवेट मरीजों को देख कर धन कमाते है। बीस रुपये इन्जेंक्शन लगाने के लिये घूस न देने पर एक नर्स मासूम की जान ले लेती है।
शिक्षा के नाम पर प्राइवेट ,स्कूल, कॉलेज, इंस्टीट्यूट आदि सरकारी धन को लेकर अपना भंडार भरते है।छात्रों की स्कालरशिप हड़प कर उनके भविष्य और देश को अँधेरे में धकेल रहे है। दिन पर दिन देश में शिक्षा का स्तर गिरता चला जा रहा है। इन पर तो कोई लगाम लगाता नज़र नही आता और ना ही कोई अध्यादेश लाया जाता है।उल्टा हम पत्रकारो के पीछे ही क्यों कुछ भ्रष्ट और सत्ताशीन लोग पड़े हुए है।क्यों हम पत्रकारो पर ही नयी-नयीं स्कीम के साथ लगाम लगाने की कोशिश की जा रही है ? अरे भाई अगर हम पत्रकारो का वंश बढ़ रहा है तो किसी के बाप का क्या जाता है। अगर लगाम ही लगानी है तो उन नेताओ पर लगाओ जो कार्यकर्ताओं के नाम पर गुंडों की फ़ौज खड़ी कर रहे है और जो उनके एक इशारे पर देश में अराजकता फैलाते है। उन लोगों पर लगाओ जो हमारे देश का करोडो रुपये लेकर विदेशों में भाग कर छुपे हुए है।उन पुलिस वालो पर भी लगाम लगाओ जो खुले आम चौराहो पर उगाही करते है। अगर कोई उगाही का विरोध करता है उससे डंके की चोट पर कहते है बताओ क्या कर लोगे क्या ऐसे लोगो पर कायर्वाही नहीं होनी चाहिए। हम पत्रकार हर चुनौती को स्वीकार कर जान की बजी लगाकर खबरों को संकलन कर आम जनता तक पहुंचाते है।
हमारे देश में शायद ही ऐसा कोई विभाग बचा हो जहा फ़र्ज़ी और भृष्ट लोगो की भरमार ना हो। हर कोई बिकने को तैयार है। अगर हमारे देश में लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ कहे जाने वाले पत्रकारो ने अपनी कलम से ना सीचा होता ,अपना लहू ना बहाया होता तो आज हमारा देश इन भृष्ट लोगो की लालच की भेट चढ़ चुका होता। जब भी कोई राजनीतिक ताक़त देश का अहित करने की सोचती है तब-तब यही पत्रकार अपनी जान की परवाह किये बगैर एक चुनौती बनकर उनके सामने खड़ा होता है और उनका सच समाज के सामने लाता है। शायद यही वजह है जो देश का सारा भ्रष्ट सिस्टम मिलकर पत्रकारो का दमन करना चाहता है, लेकिन ऐसा होना नामुमकिन है। अगर पत्रकारो के बढ़ते वंश पर जो कोई भी लगाम लगाना चाहेगा उसका वजूद धरती से मिट जायेगा।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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