पत्रकारों का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं (पत्रकार संजय तिवारी)

राष्ट्रीय पत्रकार सुरक्षा परिषद संगठन रायबरेली जिला उपाध्यक्ष पत्रकार संजय तिवारी पत्रकारों पर हो रहे उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जाएगा
पत्रकार जान को जोखिम में डालकर सत्य को उजागर करते हैं सच्चाई दिखाते हैं ठंड हो गर्मी हो या हो बरसात दिन हो या रात 24 घंटा करते हैं समाज सेवा जनहित की आवाज आप तक पहुंचाते हैं अच्छाइयों और बुराइयों से रूबरू कराते हैं क्षेत्र में हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते हैं निष्पक्ष पत्रकारिता करते हैं सत्य दिखाने पर पत्रकारों को इनाम में मिलता है मुकदमा
उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ का यह दावा कहां तक सही है कि पत्रकारों का उत्पीड़न अब बर्दाश्त नहीं होगा पत्रकारों पर हमले को लेकर उच्च न्यायालय के आदेश को प्रभावी बनाया जाए जिसमें पत्रकार पर हमले या उत्पीड़न पर स्थानीय प्रशासन तत्काल मुकदमा पंजीकृत कर सख्त कार्यवाही करते हुए अपराधियों को जेल भेजें इसके संबंध में अगर कार्यवाही नहीं हुई तो अगर कोई अप्रिय घटना घटती है तो उसकी जिम्मेदारी पुलिस प्रशासन की होगी जबकि शासनादेश की बात की जाए तो पत्रकार उत्पीड़न और अभद्रता पर 50000 का जुर्माना और 3 वर्ष की कैद का प्रावधान है उच्च न्यायालय के आदेश में उल्लेख है।

लेकिन इसका पालन धरातल पर शून्य दिखाई दे रहा है रायबरेली में लगातार पत्रकारों द्वारा भ्रष्टाचार से संबंधित खबर प्रकाशित किए जाने पर राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ग्राम प्रधान भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों द्वारा पत्रकारों के ऊपर झूठे मुकदमा में फंसा दिया जाता है पत्रकारों द्वारा एकजुट होकर उच्च अधिकारियों को ज्ञापन भी दिया जाता है लेकिन जिला प्रशासन कार्यवाही के नाम पर झुनझुना थमा देता है

पत्रकारों पर हो रहे जानलेवा हमले अभद्रता और पत्रकार उत्पीड़न पर जिला पुलिस प्रशासन की चुप्पी बड़ा सवाल खड़ा कर रही है जब सहयोगी पत्रकारों के द्वारा हमले की खबर सोशल मीडिया एवं प्रिंट मीडिया पर भी चलाई है तो क्या उच्च अधिकारियों को पता नहीं चलता मगर फिर भी प्रशासन मौन है पत्रकार पर हुए उत्पीड़न के संबंध में मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज करते हैं घटनाक्रम को उच्च अधिकारियों को भी अवगत कराया जाता है

मगर पत्रकारों को लगातार जान से मारने वह झूठे मुकदमे में फसाने की धमकियां मिलती रहती हैं लेकिन पत्रकार अपनी कलम को नहीं रोकता है सत्य लिखता रहता है
पुलिस प्रशासन माननीय मुख्यमंत्री एवं माननीय उच्च न्यायालय के भी आदेशों की धज्जियां उड़ा रहा है
पत्रकार हित को लेकर माननीय न्यायालय व मुख्यमंत्री के सारे आदेश सिर्फ फाइलों में ही सीमित है धरातल पर उनका कोई महत्व नहीं है अगर पत्रकारों पर ऐसी घटनाएं होती रहेगी तो राष्ट्रीय पत्रकार सुरक्षा परिषद संगठन पत्रकार स्वयं सहायता समूह एवं पत्रकार मीडिया हेल्पलाइन के पत्रकारों द्वारा आंदोलन करने से भी पीछे नहीं हटेंगें।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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