
एटा,फेल हुआ जाँच में साक्ष्य देने में बंदी रक्षक राजीव कुमार!
कहते है कि भुत के ज्यादा पाँव नहीं होते है। एक मन्त्र नहीं झेल पाता है. कुछ- कुछ ऐसा ही जेल कारापाल प्रदीप कुमार कश्यप व दो अन्य कर्मचारियों पर आरोप लगाने वाले बंदी रक्षक राजीव कुमार हंस जाँच में एक भी सबूत नहीं नहीं दे सके.
बंदी रक्षक राजीव कुमार अपने सेवाकाल में करीव 20 बार दण्डित हो चूका है। आरोप की जाँच में यह भी सामने आया है कि राजीव कुमार को पिछले छः माह में 5 अवकाश मिल चुके है।
जाँच में यह भी सामने आया है कि उक्त सिपाही को कई बार स्पस्टिकरण व नोटिस दिए गए है जिनका आज तक जवाब नहीं दिया गया है।
वर्तमान के प्रकरण को बिना सबूत के सिपाही की तरफ से सोशल मिडिया का माध्यम बनाने को लेकर विभागीय कार्यवाही भी अमल में लाने की तैयारी होने जा रही है.
फिलहाल CONFERENCE NEWS ने पहले ही लिखा है कि कमजोर भावनाओं का सहारा लेकर राजनीती का निशाना लगाया जाता है. परन्तु एटा जेल के प्रकरण में सिपाही राजीव कुमार निशाना भी चूक गए है ओर….. कहावत के उदाहरण बने है कि उड़ता तीर लेना किसे कहते है।