इस विलासी बदलाव का जिम्मेदार पुरुष खुद

इस विलासी बदलाव का जिम्मेदार पुरुष खुद होगा-महिला का हित अनहित एक महिला से ज्यादा कोई नहीं जान सकता है क्योंकि बो स्वयं भुक्तभोगी होती है घिनौनी मानसिकता की जब पुरुष को अपनी सोच और नजरिए पर कंट्रोल नहीं है और महिलाएं बराबर इनसे पीड़ित और घिनौनी हरकतों की शिकार हो रही है तो महिलाएं क्यों नहीं अपनी सुरक्षा हेतु नये अपराधों पर नये रूल फोलो करें इसमें किसी को भी आपत्ति क्यों है और क्यों टीका-टिप्पणी की जा रही है पुरुष खुदको बदले समाज की स्वतंत्रता और सभ्यता संस्कार खुद सुरक्षित हो जाएंगे,भय मुक्त वापसी खुद हो जाएगी आज हर कदम पर पुरूष की हरकतों से महिलाएं परेशान है फिर चाहे स्कूल बाजार बस्तियों और चारदीवारी में जब शिक्षा और सुरक्षा का ईमान गिर रहा हो रिस्ते कलंकित हो रहे हो पिता का ईमान गिर गया हो भाई का पवित्र बंधन टूट रहा हो फिर क्या बचता है और कौन सुरक्षा कर सकता है महिला की जब-तक महिला खुद अपनी शक्ति में जाग्रत नहीं होगी तब तक पुरुष की सोच गर बेलगाम नहीं होती तो आज की महिला पर हर पावर है और वुद्धि पुरुष से पीछे नहीं आगे कौन सी जगह है जहां आज की महिला मौजूद नहीं है, सरकार को हर एसी महिला की सुरक्षा के लिए हथियार और बाहन जैसी सुविधाएं देना बहुत जरूरी है क्योंकि कि पुरुष जिस ताकत का स्तेमाल महिलाओं पर एक हथियार की तरह उपयोग करता है बो ईश्वर ने इसको उसकी सुरक्षा हेतु दी थी,जिसका दुर्पयोग आज घिनौनी साजिशों में हो रहा है लेकिन एक बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि पुरूष खुद अपनी सोच से अपने विस्वास का क़ातिल साबित होगा अगर समय रहते नहीं बदली घर से लेकर समाज देश, तक महिला अपराध पुरुष के द्वारा जान से लेकर आबरू तक महिला पर हुए और हो रहे हैं इससे न नफरत और छुआछूत भेदभाव की दृष्ट से देखना शुरू कर देगी महिला बहुत कुछ एसा सोचने को मजबूर होगी जिसका कोई इलाज नहीं होगा पुरूषार्थ पर और क्यों नहीं जब पेड़ों के भक्षक फल ही बनने लगे,और इस बदलाव का जिम्मेदार खुद पुरुष होगा । दीप्ति

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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