एटा। महारानी लक्ष्मीबाई कन्या इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्या नियुक्ति का प्रकरण मीडिया में प्रकाशित होने बाद जिसने भी पढ़ा वह हैरान हो गया आखिर इंटर कॉलेज में प्रधानाचार्या जैसे पद पर नियुक्ति उच्च अधिकारियों के आदेशों पर होती है तो क्या डॉ नीतू यादव की नियुक्ति पर उच्च अधिकारी आंखें बंद करके आदेश करते रहे…? और डॉ नीतू यादव उसी आदेश पर हाथरस जिले के रामचंद्र अग्रवाल कन्या इंटर कॉलेज से एटा जिले के महारानी लक्ष्मीबाई कन्या इंटर कॉलेज में प्रधानाचार्या का चार्ज लेने आ गईं।
बता दें जब महारानी लक्ष्मीबाई कन्या इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्या नियुक्ति का मामला हमारे संज्ञान में आया तो इसकी सच्चाई को जानने का प्रयास किया गया तो कई ऐसी जानकारी मिली जहां जातिवाद और राजनीति इस नियुक्ति पर हावी होने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं लेकिन इसके बावजूद करीब दो माह से अधिक समय बीत जाने के बाद संयुक्त शिक्षा निदेशक मंडल अलीगढ़ के एक सख्त आदेश पर डॉ नीतू यादव को महारानी लक्ष्मीबाई कन्या इंटर कॉलेज में प्रधानाचार्या का कार्यभार ग्रहण कराया गया है।
इसके साथ ही संयुक्त शिक्षा निदेशक मंडल अलीगढ़ के एक पत्र में साफ-साफ कहा गया है कि महारानी लक्ष्मीबाई कन्या इंटर कॉलेज में स्थानांतरण हेतु डॉ नीतू यादव प्रधानाचार्या रामचंद्र अग्रवाल कन्या इंटर कॉलेज हाथरस द्वारा आवेदन किया गया था और दोनों विद्यालयों के प्रबंधकों द्वारा अनापत्ति प्रमाण-पत्रों एवं आवेदन पत्रों की गई संस्तुति के क्रम में जिला विद्यालय निरीक्षक हाथरस एवं एटा द्वारा उक्त स्थानांतरण हेतु संस्तुति की गई है, साथ ही 31/7/2024 को डॉ नीतू यादव अपने पूर्व विधालय रामचंद्र अग्रवाल कन्या इंटर कॉलेज से कार्यमुक्त हो चुकी हैं।
प्रबंधक को हटाकर तीन माह के लिए प्राधिकृत नियंत्रक बनाने के लिए धारा 6 (3) का दिया गया हवाला…..
बता दें महारानी लक्ष्मीबाई कन्या इंटर कॉलेज में बतौर प्रबंधक नगरपालिका अध्यक्ष सुधा गुप्ता थीं लेकिन पत्र में जो टिप्पणी की गई है वह भी महत्वपूर्ण है, पत्र में साफ-साफ शब्दों में लिखा गया है कि करीब दो माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी डाॅ नीतू यादव को प्रबंधक द्वारा कार्यभार ग्रहण नहीं कराया गया जिसके चलते संयुक्त शिक्षा निदेशक मंडल अलीगढ़ के पत्र में वेतन अधिनियम वितरण 1971 की धारा 6 (3) का हवाला देते हुए कहा गया है कि संस्था प्रबंधक द्वारा स्थानांतरित डॉ नीतू यादव को अधतन कार्यभार ग्रहण नहीं कराया जा रहा है, जबकि स्थानांतरित प्रधानाचार्या डॉ नीतू यादव पूर्व विधालय से 31/7/2024 को कार्यमुक्त हो चुकी हैं और संस्था प्रबंधक की हठवादिता के कारण उन्हें दो माह से अधिक समय से वेतन भुगतान भी नहीं हो पा रहा है।
ऐसे में धारा 6 (3) यदि प्रबंधधिकरण उपर्युक्त का अनुपालन न करे या कारण न बताए अथवा संभागीय उप शिक्षा निदेशक (वर्तमान में संयुक्त शिक्षा निदेशक)बताए गए कारण को अपर्याप्त समझे तो वह आदेश द्वारा प्रबन्धकरण एक वर्ष से अधिक ऐसी अवधि के लिए जो आदेश में विनिर्दिष्ट की जाए, अतिक्रमण कर सकता है और किसी व्यक्ति को (जिसे आगे प्राधिकृत नियंत्रक कहा गया है) उक्त अवधि के लिए संस्था का प्रबंध अपने हाथों में लेने के लिए प्राधिकृत कर सकता है।
इसी धारा 6 (3) का प्रयोग करते हुए उच्च अधिकारियों ने प्रबंधक को हटाकर तीन माह के लिए विनोद कुमार को प्राधिकृत नियंत्रक बनाकर डॉ नीतू यादव को विधालय में प्रधानाचार्या का कार्यभार ग्रहण कराया गया है।
यह मामला पिछले दो माह से अधिक समय से प्रबंधक और अधिकारियों के बीच चल रहा था लेकिन इसका कहीं कोई जिक्र नहीं था लेकिन जैसे ही संयुक्त शिक्षा निदेशक मंडल अलीगढ़ के आदेश पर डॉ नीतू यादव को पदभार ग्रहण कराया गया वैसे ही मामला मीडिया में आ गया है।
बाकी कौन गलत और कौन सही यह उच्च अधिकारी और न्यायपालिका तय करेंगे….?