दिव्य ज्योति वेद मंदिर ने रचा इतिहास, विश्व का सबसे विशाल रुद्राष्टाध्यायी रिले-पाठ संपन्न

प्रयागराज। महाकुंभ नगर, दिव्य ज्योति वेद मंदिर ने प्रयागराज महाकुंभ 2025 में दिव्य गुरु आशुतोष महाराज के मार्गदर्शन में 33 दिवसीय अखंड रुद्रीपाठ महा दिव्य अनुष्ठानम् संपन्न कर एक विश्व कीर्तिमान स्थापित किया। इस अभूतपूर्व आयोजन में 566 ब्रह्मज्ञानी वेद पाठकों ने भाग लिया, जिनकी वैदिक मंत्रों की एकलय गूंज ने 794 घंटे के रुद्राष्टाध्यायी पाठ को ऐतिहासिक बना दिया।
14 जनवरी से 16 फरवरी 2025 तक चले इस महायज्ञ में 5 देशों और 191 शहरों से आए वेद पाठकों ने 11,151 संहिता पाठ किए, जो 2,64,249 मंत्रों के उच्चारण तक पहुँचे। इसके साथ ही, 33 दिवा-रात्रि तक अखंड ब्रह्मज्ञान आधारित साधना भी चली, जिससे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हुआ। इस ऐतिहासिक उपलब्धि को एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा आधिकारिक रूप से मान्यता दी गई। निर्णायक प्रमिल द्विवेदी ने दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के पदाधिकारियों – स्वामी नरेंद्रानंद, स्वामी आदित्यानंद, साध्वी दीपा भारती, साध्वी भक्तिप्रिया भारती और प्रशासनिक प्रमुख सी.ए. गीतांजलि – को सम्मानित किया।
इस दिव्य आयोजन में कई गणमान्य अतिथियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, जिनमें आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर, सांसद अनुराग ठाकुर, विश्व हिंदू परिषद के दिनेश शर्मा, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बी.एल. संतोष, ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त, स्वामीनारायण मंदिर भुज के शास्त्री अक्षर प्रकाश दास, प्रसिद्ध अभिनेता सौरभ राज जैन और प्रधानमंत्री कार्यालय के आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल शामिल थे। इन गणमान्य व्यक्तियों ने इस अनुष्ठान की भव्यता को प्रत्यक्ष रूप से देखा और इसकी आध्यात्मिक शक्ति को अनुभव किया।
रुद्री पाठ के समापन पर शंख और घंटियों की दिव्य ध्वनि से वातावरण गूंज उठा। इसके पश्चात गुरु आशुतोष महाराज को समर्पित वैदिक आरती हुई, जिसने भक्तों को भक्ति-भाव से अभिभूत कर दिया। समापन समारोह के अंत में महायज्ञ का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने विश्व शांति एवं सद्भाव के लिए आहुति दी।
यह दिव्य आयोजन प्रमुख समाचार चैनलों, डिजिटल प्लेटफॉर्मों, यूट्यूबर्स और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स द्वारा व्यापक रूप से साझा किया गया, जिससे यह विश्वभर के श्रद्धालुओं तक पहुँचा। यह अनुष्ठान न केवल एक आध्यात्मिक उपलब्धि थी, बल्कि भारत सरकार के आयुष मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (UNSDGs) से भी सम्बद्ध रहा। इस आयोजन ने न केवल इतिहास रचा, बल्कि अध्यात्म, विज्ञान और सामाजिक समरसता को भी एक नई दिशा दी।
राम आसरे

About The Author

निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

Learn More →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× अब ई पेपर यहाँ भी उपलब्ध है
अपडेट खबर के लिए इनेबल करें OK No thanks