मैडम नीतू एमओआईसी का खुल्लम खुल्ला बड़ा खेल – तथा  कथित वकील साहब चलाते हैं रिश्वत की रैल

सीएचसी बागवाला पर तैनात मैडम का बजता है डंका – पतिदेव लाखों के भ्रष्टाचार की लगाते हैं लंका*

*मैडम नीतू एमओआईसी का खुल्लम खुल्ला बड़ा खेल – तथा  कथित वकील साहब चलाते हैं रिश्वत की रैल*
एटा। कमीशन खोरी तथा भ्रष्टाचार एवं अवैध उगाई हेतु दबाव बनाने के लिए छोटे कर्मचारी से लेकर बड़े कर्मचारी तक को परेशान किये जाने से संबंधित दर्जनों जिंदा सबूत इस सीएचसी के रजिस्टरों में दफन है। एमओआईसी, सीएचसी बागवाला मैडम नीतू से पूरा स्टाफ बेहद परेशान हैं।जबकि उनका पति स्वास्थ्य विभाग में नौकरी भी नहीं करता है फिर भी सरकारी गाड़ी में बैठकर अपनी स्टाफ पर पूरा रौब जमाता है। यहाँ कहानी कुछ उलटी है, यहाँ पर  जितने भी सरकारी टेंडर होते है उनकी देख रेख मैडम के पति के हवाले रहती है, मैडम के पतिदेव वकील के नाम से पूरे अस्पताल में विख्यात है। मेडिकल बनवाने से लेकर हर काम का रेट अलग-अलग निर्धारित हैं। मैडम के एक इशारे पर वकील साहब अस्पताल के स्टाफ पर खोप का कहर बनकर टूट पड़ते हैं। और मैडम के नाम पर बाहर  ही बाहर रिश्वत का खेल खेलते रहते हैं।
आखिरकार विभाग में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार की खुली छूट के लिए इस फर्जी वकील पर किसका हाथ है।

इसी क्रम में सीएमओ ऑफिस में गाड़ियों का टेंडर टैक्सी पास परिमट पर होता है। लेकिन बागवाला में बिना टैक्सी परमिट और टेंडर की गाड़ियाँ लगी हुई है। जो क्षेत्र में अर्राटा काट रही है, यह फर्जी करण किसके आदेश से हो रहा है और कैसी चल रही है अवैध गाड़ियां। सीधा साधा जबाव है की राजस्व की खुलेआम चोरी की जा रही है,जिनका धन कागजी हेराफेरी के जरिए बड़ा चढा कर निकाला जाता है। और तो और डिलीवरी वाली महिलाओं को कभी भी खाना नहीं दिया जाता। क्योकि महिलाओं के परिवार वाले अपने घर से ही खाना मंगवाते है। क्योकि यहां पर भर्ती महिलाओं के तीमारदारों से घर से खाना मंगाने का फरमान जारी कर दिया जाता है।

मरीज अथवा प्रसूतिका जितने भी सीएचसी पर उपचार हेतु भर्ती रहते हैं। उन सभी के भोजन का भुगतान तीमार दार सहित  डकार लिया जाता है। एमओआईसी की देखरेख में अवैध रूप से अटैच की गई गाड़ियां निरंतर सफर करती हुई कभी भी देखी जा सकती है।

यह भी उल्लेखनीय है कि बागवाला सीएससी पर कुछ दिन पूर्व एक मंदिर का निर्माण हुआ था जिसमें, एमओआईसी नीतू ने छोटे से लेकर बडे सभी कर्मचारियों से चंदा इकट्ठा किया था। बताया गया है कि मंदिर निर्माण की लागत से ज्यादा चंदा इकट्ठा कर लिया गया था। मंदिर निर्माण के चंदा की बची हुई धनराशि को मैडम स्वयं डकार गईं।
 
यह भी पता चला है कि बागवाला सीएचसी पर गोलमाल के बड़े-बड़े खेल नित्य प्रतिदिन जारी है। विभाग के आला अधिकारी निजी स्वार्थ के चलते इस भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए पहल ही नहीं कर रहे हैं।

पीड़ित स्टाफ की माने तो अधिकारीगण तीज त्योहारों पर मेडम से मिठाई खाकर सफेद रुमाल से अपना मुंह पोछ लेते के बाद मैडम की पीठ थपथपा अग्रिम व्यवस्था का आशीर्वाद देकर चले जाते हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि मैडम अपनी बीसों उँगलियाँ घी में और सर कड़ाही में डाल कर तैर रहीं हैं। दर्जनों कर्मचारी इनके संरक्षण में बढ़- पल रहे है। दर्जनों अधीनस्त कर्मचारी महीना दारी कमीशन देकर छुट्टियां मनाते रहते है। सैकड़ा के आसपास सीएचसी पर तैनात स्वास्थ्यकर्मियों की फर्जी उपस्थिति दर्ज की जाती है। अगर यहाँ अलीगढ़ या लखनऊ की टीम अचानक छापा मार कार्रवाई करें तो दूध का दूध और पानी का पानी साफ हो जाएगा। और भ्रष्टाचार करने वालों को सर छुपाने की जगह नहीं मिल पाएगी।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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