
एटा,मामला 29/3/2025 के करीब शाम चार बजे के करीब की बात रही होंगी. जनपद एटा के सकीट ब्लॉक के गाँव सलेमपुर खेड़िया गाँव में सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा करके फसल उगाही करने का मामला तहसील एटा के वरिष्ठ अधिकारियो के सज्ञान में आया था।
सदर तहसील स्तर से चार लेखपाल नायब तहसीलदार सहित फ़ोर्स के साथ उक्त भूमि का करीब 15 बीघा जमीन पर खड़ा गेहूं कम्बाइन मशीन से काट कर एटा स्थित अनाज मंडी पर लें जाया गया. इसी बीच मंडी में उक्त गेहूं की नीलामी की बोली लगाई जा रही थी कि सलेमपुर खेड़िया से कुछ लोग पीछे पीछे मंडी तक आ गए और मंडी में नीलामी स्थान पर ही लेखपाल से कहासुनी करते हुए हाथपाई कर दी गई और गाँव में आने की धमकी देकर गाड़ी से भाग गए.
पूरी घटना मंडी स्थित cctv कैमरे में कैद हो गई, जिसमे एक सफारी गाड़ी से उतरते लोगो का गुट दिखाई दे रहा है साथ ही लेखपाल के साथ मारपीट करके भागने के भी प्रमाण है.
अब सवाल यह उठता है कि ज़ब पूरा प्रशासन अमला होने के बाद भी अब तक किसी भी तरह की शिकायत थाने तक नहीं पहुंची है. इससे साफ संकेत है कि प्रशासन स्तर पर माफियाओ को शह दी जा रही है। जिससे सरकारी भूमि पर कब्जे करने की घटनाओ में बड़ोत्तरी देखने को मिलेगी ही।
इस तमाचे की गूंज पुरे जनपद में मंडी से होते हुए आम जनमानस में व्याप्त है. आम जनता यहां तक कह रही है ज़ब बीजेपी सरकार में लेखपाल सुरक्षित नहीं है तो आम जनता का क्या हाल होगा. ज़ब कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश है कि माफियाओ के खिलाफ बड़े स्तर पर कार्यवाही की जाएगी.
इस पुरे मामले के दौरान दो अधिकारी मौजूद थे. नायब तहसीलदार सतीश कुमार व कुछ देर के लिए तहसीलदार संदीप कुमार मौजूद रहें है. ज़ब पूरी घटना के दौरान इन अधिकारियो की मौजूदगी रही है तो शिकायत अब तक क्यों नहीं!!…. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि तहसील सदर में हजारों बीघा सरकारी जमीन आज भी अवैध कब्जे में है. इससे पूर्व SDM शिवकुमार व तहसीलदार चंद्र प्रकाश सिंह के दौरान गेहूं कटान के दौरान तहसील एटा ने 10 लाख का राजस्व अर्जित किया था
क्या तहसीलदार संदीप कुमार की शय पर यह घटना कारित हुई है क्योंकि अक्सर देखा जाता है कि सरकारी भूमि पर तहसीलदार की उपस्थिति में कार्यवाही की जाती है. लेकिन इस मामले में तहसीलदार संदीप कुमार तहसील से तब तक देखते रहें ज़ब तक लेखपाल के गाल पर तमाचा नहीं जड़ दिया गया…. फिर चिड़िया चुंग गई खेत…!!
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इसी प्रशासन को अगर मौका लगता है तो आम जनता पर या पत्रकार पर मुकदमा लिखाने में पीछे नहीं रहते है। क्योंकि आम जनता शिकायत मुख्यमंत्री तक करता है और पत्रकार अफसरों के भ्रष्टाचार में लिप्त होने की खबरों से जनता को रूबरू कराता है। अभी हाल ही में जनपद एटा के एक बर्ष में चार से पांच पत्रकारों पर मुकदमा लिखें गए है.लेकिन यह भी प्रशासन को बता देते है कि IAS अभिषेक प्रकाश जैसे बड़े खुलासे होने वाले है क्योंकि तहसीलदार जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह को गुमराह कर सकते है. पत्रकार को नहीं…..!!
लेखपाल के गाल पर लगे तमाचे की गूंज जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह के सीने तक पहुंची है कि नहीं…… क्योंकि कर्मचारियों के कार्मिक पिता तो वही है.
निक्क्मेपन की हद है दोस्त…!!