मौत के मुंह में ढकेल रहा है पाम आयल मिश्रित सरसों का तेल


एटा। खाद्य सुरक्षा विभाग की सक्रियता कहें या निष्क्रियता, जिला मुख्यालय पर एटा की हर परचून की दुकान हो या सरसों की पिराई करने वाला स्पेलर, हर जगह उपभोक्ताओं को मौत के मुंह में पाम आयल मिश्रित सरसों का तेल धड़ल्ले से बेचा रहा है। त्योहार के समय में तो पाम आयल मिश्रण की मात्रा में वृद्धि बाजार में सरसों के तेल की मांग को देखते हुए कर दी जाती है। खाद्य सुरक्षा विभाग एटा शहर को छोड़कर अन्य कस्बों में एक दो दुकानों पर छापा मारकर और सेम्पल भरकर अपनी रस्म अदायगी कर अपने कार्यरत रहने को दर्शाता रहता है। हकीकत तो यह है कि वह किसी भी मिलावटखोर को कानूनी कार्यवाही कर प्रताड़ित करने से स्वयं ही भयभीत इसलिए रहता है कि पहले से मिले हाथ से किसी को क्षति पहुंची तो जिस तरह वर्ष 2024 में हाथ मिला कर थैलाछाप डाक्टर के क्लीनिक पर पहुंचे स्वास्थ्य कर्मियों को दुकान में बंद कर स्वागत हुआ था वैसा ही अवसर खाद्य सुरक्षा टीम के साथ न आ जाए। पूरी वर्ष पाम आयल मिला तेल उपयोग करने से लोग अनेकों बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। खाद्य सुरक्षा विभाग की नाक के नीचे हर दुकानदार सरसों के तेल के रूप में भयंकर और लाइलाज बीमारी बेच रहा है। त्योहार के निकट आने पर समाचार पत्रों द्वारा मिलावटखोरी की खबरें प्रकाशित किए जाने पर खाद्य सुरक्षा विभाग की निद्रा सिर्फ कुछ समय के लिए टूटती है जो त्योहार निकलते ही फिर कुंभकर्णी नींद के आगोश में सो जाता है।
जिलाधिकारी महोदय से अपेक्षा है कि होली के त्योहार पर सरसों के तेल की भारी मांग को देखते हुए मिलावट खोरों के विरुद्ध सरसों के तेल के स्पेलरों और दुकानों से भारी मात्रा में सेम्पल भरे जाने की कार्यवाही हेतु खाद्य सुरक्षा अधिकारी को निर्देशित करें ताकि आम जनमानस को मिलावट रहित सरसों का तेल मिल सके। बाजार में 150 रूपया प्रति किलो बिकने वाला सरसों का तेल भी शुद्ध नहीं मिल पा रहा है।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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