डॉ. मनमोहन सिंह भारत के प्रमुख अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ हैं

डॉ. मनमोहन सिंह भारत के प्रमुख अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ हैं, जो 2004 से 2014 तक भारत के 14वें प्रधानमंत्री रहे। उनके जीवन और कार्यों के बारे में कुछ प्रमुख तथ्य निम्नलिखित हैं:

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

  1. जन्म: डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को गाह (अब पाकिस्तान में स्थित) में हुआ था।
  2. परिवार: वे एक सिख परिवार से हैं। उनके पिता का नाम गुरमुख सिंह था और माता का नाम अमृत कौर था।
  3. शिक्षा:

उन्होंने अपनी बीए (अर्थशास्त्र) की डिग्री पंजाब विश्वविद्यालय से 1952 में प्राप्त की।

इसके बाद उन्होंने मूल्यांकन अर्थशास्त्र में एमए पंजाब विश्वविद्यालय से 1954 में किया।

डॉ. सिंह ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डी.फिल (डॉक्टरेट) की डिग्री 1962 में प्राप्त की।

करियर की शुरुआत

  1. अंतर्राष्ट्रीय अनुभव: डॉ. मनमोहन सिंह ने अपनी पढ़ाई के बाद संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में काम किया, जहां उन्होंने वैश्विक आर्थिक विकास के लिए कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं में योगदान दिया।
  2. भारत लौटना: 1960 के दशक में वे भारत लौट आए और दिल्ली विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग में शिक्षक के रूप में कार्य किया।

प्रमुख राजनीतिक भूमिकाएँ और योगदान

  1. आर्थिक सुधार (1991): डॉ. मनमोहन सिंह 1991 में भारत के वित्त मंत्री बने और भारतीय अर्थव्यवस्था को गंभीर संकट से उबारने के लिए कई महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार लागू किए:

रुपया का अवमूल्यन

आयात शुल्क में कटौती

सरकारी उपक्रमों का निजीकरण

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को बढ़ावा देना इन सुधारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को गति दी और भारत को एक वैश्विक आर्थिक शक्ति बना दिया।

  1. प्रधानमंत्री (2004–2014): डॉ. मनमोहन सिंह ने 2004 में भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। वे कांग्रेस पार्टी की अगुवाई वाली यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (UPA) सरकार के प्रमुख थे।

पहला कार्यकाल (2004–2009): इस दौरान भारत ने आर्थिक वृद्धि, गरीबी उन्मूलन और वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत किया।

दूसरा कार्यकाल (2009–2014): उनके दूसरे कार्यकाल में कई विकासात्मक पहल की गईं, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों ने उनकी सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाया।

  1. प्रधानमंत्री के रूप में प्रमुख उपलब्धियाँ:

भारत ने न्यूक्लियर डील के तहत संयुक्त राज्य अमेरिका से नागरिक परमाणु प्रौद्योगिकी प्राप्त की (2008)।

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA) और सूचना का अधिकार (RTI) जैसे सामाजिक कल्याण कार्यक्रम शुरू किए।

भारत की अर्थव्यवस्था को दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

व्यक्तित्व और नेतृत्व शैली

  1. व्यक्तित्व: डॉ. मनमोहन सिंह का व्यक्तित्व शांत, विनम्र और विद्वान था। उन्हें एक बुद्धिजीवी और तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में सराहा जाता है।
  2. नेतृत्व शैली: वे एक सहमति-निर्माण नेता के रूप में जाने जाते थे, जो राजनीति में ज्यादा सक्रिय नहीं रहते थे और निर्णयों में गहरी सोच रखते थे। हालांकि, उन्हें कभी-कभी निष्क्रिय और कमजोर नेता भी कहा गया।

बाद का जीवन और विरासत

  1. प्रधानमंत्री बनने के बाद: 2014 में प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद, डॉ. मनमोहन सिंह ने राज्य सभा (राज्य सभा) से सदस्य के रूप में कार्य किया और 2020 तक सांसद रहे।
  2. लेखन: उन्होंने अर्थशास्त्र और भारत की विकास यात्रा पर कई किताबें और लेख लिखे। उनकी आत्मकथा “चैलेंजेस बिफोर इंडिया” और “द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर” पर फिल्म भी बनी है।
  3. सम्मान: उन्हें भारत सरकार द्वारा विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जैसे:

पद्म विभूषण (2008), जो भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।

विश्वभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों से उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि मिली है।

व्यक्तिगत जीवन

  1. परिवार: डॉ. मनमोहन सिंह की शादी सोनिया गांधी से हुई, जो भारत के पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की बहु हैं। उनके दो बेटियाँ हैं, उपिंदर सिंह और दमन सिंह।
  2. भाषाएँ: डॉ. सिंह अंग्रेजी, हिंदी और पंजाबी भाषाओं के जानकार हैं।

विवाद और आलोचनाएँ

  1. भ्रष्टाचार के आरोप: उनके प्रधानमंत्री रहते हुए 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला और कोल घोटाला जैसे भ्रष्टाचार के मामलों ने उनकी सरकार की छवि को धक्का पहुँचाया।
  2. कमजोर नेतृत्व: आलोचकों का कहना है कि वे राजनीतिक दृष्टिकोण से बहुत कमजोर थे और कांग्रेस पार्टी की नेतृत्व भूमिका को गांधी परिवार के अधीन मानते थे।

डॉ. मनमोहन सिंह भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के एक महत्वपूर्ण स्तंभ रहे हैं। उनका योगदान भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में अतुलनीय है, और उन्हें एक दूरदर्शी नेता के रूप में हमेशा याद किया जाएगा।

About The Author

निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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