मऊगंज: समूह संचालक और हेडमास्टर की दबंगई उजागर, भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप

मऊगंज जिले के शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय, सीतापुर में समूह संचालक और हेडमास्टर की दबंगई और भ्रष्टाचार के गंभीर मामले सामने आए हैं। रसोईया शांति गुप्ता ने आरोप लगाया है कि उन्हें अनावश्यक रूप से विद्यालय से निकाल दिया गया। शांति गुप्ता का कहना है कि समूह संचालक ने यह कहते हुए उन्हें नौकरी से हटा दिया कि विद्यालय में बच्चों की संख्या कम है। लेकिन उनका आरोप है कि यह महज एक बहाना था। उन्होंने कहा, “जब तक मेरा वेतन ₹2000 था, तब तक मुझे काम पर रखा गया। लेकिन जैसे ही वेतन बढ़कर ₹4000 हुआ, मुझे हटा दिया गया।” शांति गुप्ता ने समूह संचालक और हेडमास्टर पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं: भोजन मेनू के अनुसार बच्चों को खाना नहीं मिलता। प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को सरकारी स्कूल में पंजीकृत दिखाया जाता है। मध्यान्ह भोजन की तैयारी वास्तविक बच्चों की संख्या से अधिक दिखाकर अनियमितताएँ की जाती हैं। शांति गुप्ता ने बताया कि उनका 2 महीने का वेतन अब तक नहीं मिला है।
वेतन माँगने पर उन्हें धमकियाँ दी जाती हैं और दबंगई से पेश आया जाता है। 181 हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराने के बावजूद पुलिस और प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई।एफआईआर दर्ज कराने पर धमकी दी जाती है। इस मुद्दे पर पत्रकार सीएसी दिनेश पटेल ने बताया कि सरकारी नियमों के अनुसार सीनियर रसोईया को नौकरी से नहीं हटाया जा सकता। अगर बच्चों की संख्या कम भी हो, तो हटाने का अधिकार केवल जूनियर रसोईया पर लागू होता है। उनका कहना है कि समूह संचालक और हेडमास्टर का यह कदम नियमों का उल्लंघन है। शांति गुप्ता ने यह भी बताया कि समूह संचालक को हर 5 साल में बदला जाना चाहिए, लेकिन भ्रष्टाचार के कारण इस नियम की अनदेखी की जाती है। उनका आरोप है कि हेडमास्टर और समूह संचालक हर महीने लेन-देन के जरिए भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। प्रशासन की चुप्पी और शिक्षा विभाग की विफलता यह घटना शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करती है। बच्चों और गरीब कर्मचारियों के हक पर डाका डाला जा रहा है। शांति गुप्ता का सवाल है, “क्या हमें न्याय दिलाने के लिए प्रशासन कभी आगे आएगा, या यह भ्रष्टाचार यूँ ही चलता रहेगा?” समूह संचालक और हेडमास्टर की भूमिका की जाँच हो। शांति गुप्ता का लंबित वेतन तुरंत दिया जाए। भ्रष्टाचार पर कार्रवाई: शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर कड़ी कार्रवाई हो।
समूह संचालक बदलें: नियमों के अनुसार हर 5 साल में समूह संचालक का बदलाव सुनिश्चित किया जाए। यह स्पष्ट है कि जब तक प्रशासन इन मामलों पर गंभीर कदम नहीं उठाता, तब तक शिक्षा विभाग में ऐसी अनियमितताएँ जारी रहेंगी।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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