बीरघातिनी छाड़िसि सागी। तेजपुंज लछिमन उर लागी

बीरघातिनी छाड़िसि सागी। तेजपुंज लछिमन उर लागी।।
अर्थात
मेघनाथ ने शक्ति बाण मार कर मारकर लक्ष्मण को किया मूर्छित

सिद्धार्थनगर । डुमरियागंज तहसील क्षेत्र के ग्राम पंचायत चौखड़ा स्थित आदर्श जय बजरंग रामलीला समिति के तत्वधान में के चल रहे राम लीला कार्यक्रम में गत रात्रि दिखाया गया कि लंका से अंगद जी वापस आते हैं और सारा वृतांत बताते हैं रामचंद्र जी वानर दल को लंका पर चढ़ाई करने का आदेश देते हैं रावण अपने पुत्र मेघनाद को भेजता है जहां लक्ष्मण से युद्ध होता है मेघनाद
नें बीरघातिनी छाड़िसि सागी। तेजपुंज लछिमन उर लागी।। लक्ष्मण जी पर बीरघातिनी शक्ति चलाई।वह तेजपूर्ण शक्ति लक्ष्मण जी की छाती में लगी शक्ति लगने से उन्हें मूर्छा आ गई।जिससे रामा दल में सब लोग दुखी हो जाते हैं। विभीषण जी लंका में स्थित सुषेनवैद्य के बारे में बताते हैं हनुमान जी हनुमान जी लंका जाकर उनको लाते हैं सुख सुषेन वैद्य लक्ष्मण जी को देखने के बाद कहते हैं कि द्रोणागिरी पर्वत पर संजीवनी बूटी है उसको लाना होगा हनुमान जी संजीवनी बूटी लाने के लिए चल देते हैं कि रास्ते में कॉलनेमि राक्षस मिलता है वह उन्हें रोकने की कोशिश करता है लेकिन हनुमान जी उसे मार डालते हैं हनुमान जी द्रोणागिरी पर्वत पर पहुंचते हैं लेकिन वह बूटी को ना पहचान कर पूरा पर्वत ही उठा लेते हैं वह पर्वत लेकर चलते हैं कि अयोध्या में भरत जी उनको सींकबाण मार देते हैं वह मूर्छित होकर जमीन पर गिर जाते हैं तो भरत जी राम नाम से उन्हें मूर्छा से वापस लाते हैं भरत जी को हनुमान जी पूरा वृतांत बताते हैं हनुमान जी वहां से लंका के लिए चल देते हैं और सूर्योदय होने के पहले पर्वत सहित संजीवनी बूटी को पहुंचा देते हैं वैद्य जी संजीवनी बूटी से लक्ष्मण जी का उपचार करते है और लक्ष्मण जी होश में आ जाते हैं की उधर कुंभकरण को रावण जगाता है कुंभकरण युद्ध में आता है जो राम के हाथों मारा जाता है मेघनाद को रावण मां निकुंबला का यज्ञ करने के लिए भेजता है कि वानर उस पर आक्रमण कर देते हैं जहां फिर एक बार मेघनाद और लक्ष्मण के बीच युद्ध होता है लक्ष्मण जी मेघनाथ को मार डालते हैं रावण चिंतित हो जाता है तथा पाताल लोक से अहिरावण को बुलाता है अहिरावण अपनी माया से राम लक्ष्मण को पाताल लोक ले जाता है हनुमान जी पाताल लोक पहुंचते हैं जहां उनकी मुलाकात मकरध्वज से होती है वह उन्हें रोक रोकता है कि हनुमान जी की लड़ाई होती है वह मकरध्वज को बांध देते हैं तथा उस जगह पहुंचते हैं जहां अहिरावण राम लक्ष्मण को मां दुर्गा के सामने बलि चढ़ाने के लिए लाता है जैसे ही वह बलि चढ़ाने की कोशिश करता है कि हनुमान जी उसे भी मार डालते हैं और अहिरावण के मारने के बाद वह मकरध्वज को पाताल लोक का राजा बना देते हैं। इस अवसर पर अदिश राशि अधिकारी नगर पंचायत डुमरियागंज महेंद्र प्रताप श्रीवास्तव ,महंत मिश्रा, मनोज शुक्ला, राजेश यादव, अरुण कुमार सिंह, धनेशयादव ,मंगल हलवाई ,जय शंकर, मिश्रा बजरंग मिश्रा, गोपाल, धीरू, विनोद, अर्जुन अर्क बंसी, विवेक, जिगर, रवि मोदनवाल, गुड्डू यादव, अंतरिक्ष प्रताप सिंह, अंशुमान सिंह, पप्पू मोदनवाल, सोनू ,मुन्ना गुप्ता, रामू गुप्ता ,राजू गुप्ता, राजेश सोनी ,प्रकाश सोनी, विजय मोदनवाल, सहित भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन ठाकुर प्रसाद मिश्र ने किया।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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