दिलचस्प वैज्ञानिक प्रयास: सल्फर के गुब्बारों से धरती को ठंडा रखने की कोशिश, बड़े बड़े दिग्गज कर रहे हैं समर्थन
धरती को ग्लोबल वार्मिंग से बचाने के लिए नई-नई तकनीकों का विकास किया जा रहा है। सिलिकॉन वैली का एक स्टार्टअप ‘मेक सनसेट्स’ इसी उद्देश्य से सल्फर के गुब्बारों का उपयोग कर सौर ऊर्जा को रोककर धरती को ठंडा रखने का प्रयास कर रहा है। इस स्टार्टअप को बिल गेट्स और ओपेन एआई के सैम ऑल्टमैन जैसे दिग्गजों का समर्थन और फंडिंग मिल रही है।
मेक सनसेट्स वातावरण में सल्फर डाइऑक्साइड को गुब्बारों के जरिए छोड़ता है। यह प्रक्रिया सूर्य की कुछ ऊर्जा को वापस अंतरिक्ष में परावर्तित कर देती है, जिससे धरती पर तापमान को नियंत्रित किया जा सके। स्टार्टअप के सह-संस्थापक एंड्रयू सॉन्ग के अनुसार, प्रत्येक ग्राम सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड के एक मीट्रिक टन के प्रभाव को संतुलित करता है। फरवरी 2023 से अब तक कंपनी ने 53 किलो सल्फर डाइऑक्साइड छोड़ा है, जो पर्यावरण पर 25 लाख पेड़ लगाने के बराबर असर डालता है।
येल यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में कहा गया है कि सल्फर एयरोसोल तकनीक से धरती के तापमान को अस्थायी रूप से आधा कम किया जा सकता है। इसके लिए करीब 75 हजार करोड़ रुपये की लागत आने की संभावना है, जो नासा के वार्षिक बजट का लगभग आधा हिस्सा है।
इस तकनीक का विरोध भी हो रहा है। एडिनबरा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर स्टुअर्ट हेजेलडाइन का कहना है कि एक बार जब सौर ऊर्जा को परावर्तित करके धरती को ठंडा करने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, तो इसे लगातार बनाए रखना होगा, जिससे यह एक स्थायी समाधान नहीं बन पाता। इसी तरह, ऑस्ट्रेलिया नेशनल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता एड्रियन हिंडेस ने चेतावनी दी है कि सल्फर के गुब्बारे खेती को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
सल्फर एयरोसोल के अलावा, कई अन्य तकनीकों पर भी काम हो रहा है, जैसे अमेरिकी-इजरायली स्टार्टअप ‘स्टारडस्ट सॉल्यूशंस’ द्वारा परावर्तक कणों का इस्तेमाल करना, सूर्य की ऊर्जा को अंतरिक्ष में भेजने के लिए बड़े दर्पणों का उपयोग, इमारतों को चमकीला बनाना और क्लाउड थिनिंग।