घायल तेंदुए को सफल उपचार के बाद वापस जंगल में छोड़ा!

एक सफल ऑपरेशन में उत्तर प्रदेश के शिवालिक क्षेत्र में तेंदुए के संरक्षण के तहत उसको सफलतापूर्वक रिलीज़ किया गया। लगभग 3 वर्षीय घायल तेंदुए को मेरठ वन विभाग की टीम ने बचाया था, जिसके बाद उसे इलाज हेतु वाइल्डलाइफ एसओएस की ट्रांजिट फैसिलिटी में स्थानांतरित कर दिया गया। एनजीओ की देखरेख में ठीक होने के बाद तेंदुए को सहारनपुर स्थित शिवालिक वन प्रभाग में उसके प्राकृतिक आवास में वापस छोड़ दिया गया।

उत्तर प्रदेश वन विभाग द्वारा मेरठ में एक घायल तेंदुए को बचाया गया। तेंदुए को आई चोटों की गंभीर स्थिति और तत्काल चिकित्सा हस्तक्षेप की आवश्यकता को महसूस करते हुए, प्रदेश के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक ने उसे वाइल्डलाइफ एसओएस की ट्रांजिट फैसिलिटी में इलाज के लिए स्थानांतरित करने का आदेश दिया।
नवीनतम चिकित्सा सुविधाओं से सुसज्जित अस्पताल में, तेंदुए को एनजीओ की देखरेख में रखा गया था। उसके के माथे पर चोट थी और पंजा बुरी तरह जख्मी था। तेंदुए को पशु चिकित्सा देखभाल और उसके घावों की ड्रेसिंग शुरू की गई, इसके बाद एंटीबायोटिक और एंटीसेप्टिक समाधान के साथ उपचार किया गया।

वाइल्डलाइफ एसओएस की पशु-चिकित्सा सेवाओं के उप निदेशक, डॉ. इलयाराजा, ने कहा, “आगमन के बाद शुरुआती 4-5 दिनों तक तेंदुआ ठीक से भोजन नहीं खा रहा था। लेकिन भूख बढ़ाने वाले सिरप देने के बाद, उसकी खुराक में इज़ाफा आया और वह सामान्य रूप से खा-पी रहा था। तेंदुए का वापस से ठीक होना हमारे प्रयासों को प्रोत्साहन देने का एक बड़ा उदाहरण है।

एनजीओ की पशु चिकित्सा टीम द्वारा रिलीज़ के लिए उपयुक्त समझे जाने के बाद और वन विभाग के परामर्श से, तेंदुए को सहारनपुर स्थित शिवालिक में बड़कला वन रेंज में सफलतापूर्वक छोड़ दिया गया।

वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी. ने कहा, “उत्तर प्रदेश के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक और मेरठ क्षेत्र के मुख्य वन संरक्षक के सहयोग से, हम तेंदुए को वापस जंगल में छोड़ने में सक्षम हुए। इस संयुक्त प्रयास के लिए और इस ऑपरेशन में समर्थन के लिए हम प्रभागीय वन अधिकारी सहारनपुर को भी धन्यवाद देते हैं।

वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “बढ़ते शहरीकरण के साथ ही, जंगली जानवरों को लगातार प्राकृतिक आवास की क्षरण और नुकसान का खतरा है। ऐसे मामलों में, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि तेंदुए जैसे जानवरों को जंगल में रहने के लिए उचित स्थान मिल सके।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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