विद्वान की विद्वाता तार-तार करते है

विद्वान की विद्वाता तार-तार करते है

हाईकोर्ट इलाहबाद नें कल कोरोना के संक्रमण मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी को देखा तो तुरंत एक फैसला लिया कि सभी सुनवाइया वर्चुअल होंगी और फिर हाईकोर्ट परिसर में आंदोलन के नारे लगे… हाईकोर्ट प्रशासन के खिलाफ नारे…!!!यह कैसा संबिधान बना हैं भारत का!जो जहाँ चाहता है जूता फेंक देता हैं…? जो जिसे चाहे नारों के बहाने गाली दें देता है। अद्भुत और अकल्पनीय हैं भारत का संबिधान….।

इस वीडियो को ध्यान से देखिए और सुनिए जहाँ न्याय के लिए फरियादी हाथ बाधे खड़ा रहता है। जिस स्थान पर न्याय की कसमें खाई जाती है.. जिस स्थान पर संबिधान के साथ-साथ गीता कुरान को साक्षी माना जाता हों। बड़े-बड़े क़सीदे क़ानून में लपेटे जाते हों और कहा जाता होगा कि यही भगवान भी हाथ बांधे करीब 540 बर्ष संघर्ष करते रहें होंगे। यें स्थान आज कुरुक्षेत्र उन लोगो नें बना दिया जिन्हे विद्वान कहा जाता है.आप खुद ही समझ लीजिये कि इस न्यायालय से कैसे गरीब को न्याय मिलता होगा और किस तरह के पैचो में राजा राम भी अपनी असलियत से संघर्ष करते रहें होंगे ।

पैसे और राजनीति की नियत नें न्याय को संबिधान से खदेड दिया है।

आप हर रोज देखते होंगे कि न्यायालय में अफसर किस तरह से हाथ बाधे खड़े रहते है. यह इस लिए नहीं कि वो अपराधी हैं यह इसलिए होता है क्यूँ कि वो अफसर संबिधान को पद के साथ सम्मान देता है लेकिन वही न्यायलय के पद राजनीती से प्रेरित हों चुके है जिससे न्यायालय की गरिमा भी गलियारों में गाली खा रही है। यह नारे एक सभ्य देश की उन्नति में बाधक है जिन्हे समय रहते सुधार लेना चाहिए अन्यथा कि स्थिति में अराजकता बढ़ ही रही है जो खुनी खेल में कब तब्दील हों समय का कुछ अता-पता नहीं हैं।

हम कल सही थे और आज सही हों गए है.. आदेश बापस लिया

वाह हाईकोर्ट इलाहबाद…

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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