स्मृति शेष: क्रिकेट से सियासत तक धुरंधर रहे चेतन चौहान

पूर्व क्रिकेटर और प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे चेतन चौहान का सफर क्रिकेट तक सफल ओपनर जैसा रहा। टीम इंडिया में उन्होंने एक बेहतरीन ओपनर खिलाड़ी की भूमिका निभाई। सचिन-सौरव से पहले सुनील गावस्कर और चेतन चौहान की जोड़ी ओपनर के रूप में प्रसिद्ध रही। चेतन चौहान पहले राजनीति में आने के इच्छुक नहीं थे, उन्हें बड़ी मुश्किल से मना कर सियासत में लाया गया और फिर तो सियासत ऐसी रास आई कि अपने लोगों  से उनका साथ कभी छूटा ही नहीं।

अमरोहा लोकसभा सीट में उस वक्त कांठ, अमरोहा, हसनपुर समेत बिजनौर जिले की धामपुर और स्योहारा विधानसभा क्षेत्र हुआ करते थे। अस्सी के दशक तक इंडियन क्रिकेट में अहम स्थान रखने वाले चेतन चौहान ने सियासत में आने की सोची भी नहीं थी। वह दिल्ली में परिवार समेत रह रहने लगे थे और टीवी चैनलों में डिबेट में खूब दिखाई देते थे। 1991 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्हें भाजपा नेताओं ने पार्टी में लाने का प्रयास किया। पहले तो उन्होंने इनकार कर दिया इसके बाद वह तैयार हो गए। उनके चुनाव संचालक और संयोजक रहे बरेली-मुरादाबाद सीट से एमएलसी डॉ जयपाल सिंह व्यस्त बताते हैं कि हम लोगों ने किसी तरह चेतन को मनाया। बाद में वह अमरोहा से भारी मतों से जीते।

उस वक्त अमरोहा लोकसभा क्षेत्र में कांठ, अमरोहा, हसनपुर और बिजनौर जिले के दो विधानसभा क्षेत्र स्योहारा और धामपुर भी थे। सियासत की पहली पारी में चेतन चौहान भाजपा के टिकट पर 225805 मत पाकर जीते। जनता दल के हर गोविंद 167928 मत पाकर रनर रहे थे। कांग्रेस प्रत्याशी दिलदार हुसैन अंसारी 74 मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे। जिस तरह उन्होंने क्रिकेट में कई सफल ओपनर की पारियों से दिल जीता इसी तरह वह सियासत की पहली पारी में सफल ओपनर साबित हुए।

चेतन चौहान 1996 में इसी सीट से 2.10 लाख मत पाकर सपा के प्रताप सिंह से पराजित हुए थे। तीसरा लोकसभा चुनाव 1998 में हुआ और चेतन चौहान फिर बसपा के आले हसन को हराकर दिल्ली पहुंचे। तब चेतन चौहान को 2.95 लाख वोट मिले थे। एक साल बाद 1999 में फिर चुनाव हुए और अमरोहा लोकसभा सीट से चेतन के मुकाबले राशिद अल्वी बसपा से प्रत्याशी बने यह चुनाव भी 2.44 लाख मत पाकर चेतन चौहान पराजित हो गए। पिछले विधानसभा चुनाव 2017 में नौगांवा सादात से वह किस्मत आजमाने उतरे और विजयी बनकर यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री बने।

बुलंदशहर के मूल निवासी और मुरादाबाद में बस गया परिवार
बुलंदशहर के मूल निवासी चेतन चौहान के पिता फौज में थे। चेतन चौहान के परिजन मुरादाबाद के मूढ़ापाण्डे में ननिहाल में बस गए। वह आठ भाई थे। भाई सुरेश प्रताप सिंह मुरादाबाद देहात विधानसभा क्षेत्र से 1993 मे एक बार विधायक भी रहे। बड़े भाई नरेश प्रताप सिंह ग्राम प्रधान भी रहे। एक भाई पीपी सिंह पेपर मिल देखते हैं। दो भाई जुड़वां थे और वह दिल्ली मे रहते हैं।

सियासी सफर
1991 में पहली बार भाजपा के टिकट पर अमरोहा से सांसद बने
1996 में सपा प्रत्याशी प्रताप सिंह से पराजित हो गए
1998 में वह बसपा प्रत्याशी आले हसन को हरा कर जीते
1999 में  बसपा के राशिद अल्वी से पराजित हुए
20017 में अमरोहा की नौगांवा सादात से भाजपा विधायक बने

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NAZIM HUSAIN

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