सरकारी दफ्तरों में निजी कर्मचारियों के सहारे चल रहा बड़ा खेल, दस्तावेजों की गोपनीयता पर भी सवाल

अंबेडकरनगर
सरकारी दफ्तर में बड़ी संख्या में निजी लोगों द्वारा कार्य किया जा रहा है। इससे सरकारी रिकॉर्ड की गोपनीयता भंग होने का खतरा बढ़ गया है। इस व्यवस्था से कोई भी सरकारी कार्यालय अछूता नहीं है यहां तक की न्यायालय में भी निजी कर्मचारी रखे गए हैं, लेकिन यह रोग सबसे ज्यादा दफ्तरों में है। बाहर से अपने काम की बाबत आने वाले लोगों को ऐसा लगता है कि पटल पर बैठा व्यक्ति भी सरकारी कर्मचारी है। वह सरकारी कर्मचारी नहीं है, इसलिए उनके नियोक्ता सौदेबाजी कर वसूली भी करते हैं। सरकारी दफ्तरों में अवैध वसूली का कार्य जोरों पर चलता है।अक्सर छापा पड़ने पर सरकारी बाबू साफ बच जाते हैं। कलेक्ट्रेट से लेकर तहसील में लोगों ने अपने साथ निजी लोग अटैच कर रखे हैं। ऑफिसों में बड़ी संख्या में निजी लोगों को रखे हुए हैं। कुछ के पास इनकी संख्या दो से तीन तक है।सरकारी दफ्तरों में कार्यरत क्लर्क अपने काम को आसान बनाने के लिए निजी कर्मी भर्ती कर काम चला रहे हैं।निजी कर्मचारियों को टूल के रूप में इस्तेमाल करते हैं। वे बेधड़क अवैध वसूली करते हैं। इस अवैध वसूली का एक अंश उन्हें वेतन के नाम पर मिलता है।वर्षों से सरकारी कार्यालयों में यह प्रथा चली आ रही है।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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