डॉ संजीव बालियान ने अभूतपूर्व जीत हासिल की है।

ऐसा संभवतः पहली बार हुआ है कि अपनी ही पार्टी के विरूद्ध जहांगीर की तलवार की तरह तनी हुई योगी सरकार की सारी सत्ता और सामर्थ्य पीसा की मीनार की तरह झुक गई!!
मुजफ्फरनगर के ज़िलाधिकारी को न केवल मंदिर की समिति के आगे खेद (सरल शब्दों में क्षमा याचना करना) जताना पड़ा बल्कि मुक़दमे वापिस लेने और न्यायालय में पैरवी की सारी शर्तें भी बिना शर्त क़ुबूल करनी पड़ी।
इसके बाद 19 जनवरी की जाट पंचायत का फ़ैसला वापिस ले लिया गया।
इसके पहिले मुजफ्फरनगर पुलिस को भी बाक़ायदा प्रेस नोट जारी करके डॉ संजीव बालियान की सुरक्षा वापिस करनी पड़ी थी।
जिस दौर में उसी क्षेत्र के हारे हुए कुछ नेताओं की पुलिस सुरक्षा तिब्बत पर चीन के क़ब्ज़े की तरह क़ायम और अक्षुण्ण है, उसी दौर में बक़ौल संजीव बालियान, उनकी सुरक्षा सिर्फ़ इसलिए वापिस ले ली गई क्योंकि वे मंदिर की ज़मीन पर अतिक्रमण के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे।
संजीव बालियान की इस लड़ाई का बीजेपी विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने जमकर समर्थन किया था और यहाँ तक कह दिया था कि क्या ये पश्चिमी यूपी को गृहयुद्ध में झोंकने की साज़िश है? आख़िर योगी राज में अधिकारी क्या करने पर आमादा हैं?
इन हालातों में मिली इस जीत के मायने बेहद ही महत्वपूर्ण और दूरगामी हैं।
Veterinary Anatomy में पीएचडी डॉ संजीव बालियान ने MBBS/MS किए बग़ैर ही पूरे सिस्टम की सर्जरी कर डाली !!!!