शहादत से शहादत तक: शहीद बिस्मिल और विवेक तोमर को नमन

शहादत से शहादत तक: शहीद बिस्मिल और विवेक तोमर को नमन

अंबाह/पंचनद: चंबल की धरती पर देशभक्ति और शौर्य की गाथाओं ने हमेशा से वीरता के नए अध्याय लिखे हैं। 18 जनवरी को रूअर गांव में आयोजित शहीद स्मारक कार्यक्रम में शौर्य चक्र से सम्मानित हवलदार विवेक सिंह तोमर की प्रतिमा का अनावरण हुआ। इस अवसर पर चंबल संग्रहालय के महानिदेशक डॉ. शाह आलम राना ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक रामप्रसाद बिस्मिल से लेकर सियाचिन में शहीद हुए हवलदार विवेक तोमर की शौर्य गाथा का वर्णन किया।

डॉ. राना ने बताया कि रामप्रसाद बिस्मिल ने अपनी आत्मकथा में तोमरधार क्षेत्र और चंबल नदी का विशेष उल्लेख किया था। बिस्मिल ने 19 दिसंबर 1927 को अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान दिया था। इसी चंबल की माटी ने वर्षों बाद एक और महान सपूत, हवलदार विवेक तोमर को जन्म दिया, जिन्होंने अपने अदम्य साहस और बलिदान से देश का सिर गर्व से ऊंचा किया।

हवलदार विवेक तोमर, भारतीय सेना की 5वीं बटालियन, राजपूताना राइफल्स का हिस्सा थे। सियाचिन ग्लेशियर पर -52 डिग्री सेल्सियस की भीषण ठंड में उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर एक संभावित हादसे को रोका। तंबू में धुएं और आग की स्थिति को भांपते हुए उन्होंने अपने साथियों की जान बचाने का प्रयास किया, लेकिन इस अद्वितीय बहादुरी में वे स्वयं शहीद हो गए। उनके इस वीरतापूर्ण बलिदान के लिए उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों, प्रशासनिक अधिकारियों और सेना के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सभी ने शहीद हवलदार विवेक तोमर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। डॉ. राना ने कहा, “चंबल की इस माटी ने हर युग में वीर सपूतों को जन्म दिया है। चाहे वह स्वतंत्रता संग्राम के महानायक रामप्रसाद बिस्मिल हों या सियाचिन में वीरगति को प्राप्त हुए हवलदार विवेक तोमर। इन दोनों शहीदों की शौर्य गाथा हमें सदैव प्रेरणा देती रहेगी।”

इस अवसर पर शहीद तोमर के परिजनों को भी सम्मानित किया गया। ग्रामीणों ने कहा कि यह स्मारक चंबल की माटी के गर्व और बलिदान की जीवंत पहचान बनेगा। आयोजन में देशभक्ति गीतों के माध्यम से शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई।

कार्यक्रम का समापन ‘शहीद अमर रहें’ के जयघोष के साथ हुआ। चंबल की यह वीर माटी आज भी हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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