बटेश्वर में अटल के जन्म शताब्दी पर हुआ अखिल भारतीय कवि सम्मेलन

बटेश्वर में अटल के जन्म शताब्दी पर हुआ अखिल भारतीय कवि सम्मेलन।।
आगरा,तानसेन की नगरी में भारत मां के सुर गायक….. राष्ट्रवाद के उन्नायक, अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में सरस्वती पुत्रों ने अटल जी का किया बखान, गूंजे भारत माता के जयकारे।।
बाह (आगरा)बटेश्वर में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में बुधवार की दोपहर पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह की ओर से अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन कराया गया। कवियों ने अटल जी के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर अपनी कविताएं पढ़ी तो पांडाल भारत माता के जयकारों से गूंजता रहा। अलवर के ओज के कवि विनीत चौहान ने अटल जी को नमन करते हुए कविता ‘तुम राजनीति के राजर्षि, तुम राष्ट्रवाद के उन्नायक, तुम तानसेन की नगरी में भारत मां के सुर गायक’ पर खूब तालियां बटोरी। दिल्ली की डॉ कीर्ती काले ने अटल के जीवन के बहु आयामी व्यक्तित्व को अपनी कविता ‘बड़े बड़े धुर विरोधी भी विरोध भूल जाते, बात ऐसी बोलते थे हंस के ठिठोली में, व्यंग की करारी मार पे लगाते हास्य लेप, कड़वी दवा खिलाते मीठी मीठी बोली में, माटी के सपूत माटी में विलीन हुए, पर रंग नये भर गए माटी की रंगोली में’ से श्रोताओं की वाहवाही लूटी। डॉ मुकेश मणिकांचन ने अटल जी के व्यक्तित्व पर पढ़ा ‘शौर्य साहस का शिखर, फिर भी सरल है, वह अटल है…..’। हरीश भदौरिया ने अपनी कविता ‘इंसानियत की मिशाल था जो भारत रतन बना, वह इस धरा का लाल था’। कुमार ललित ने अपनी कविता ‘ नयन द्वार पर हैं लगे, व्याकुल सुबहो शाम, आना ही होगा तुम्हें, मैं शबरी तुम राम’ पर खूब तालियां बटोरी। कवि सम्मेलन में चंद्र शेखर, हरीश अग्रवाल, डॉ रुचि चतुर्वेदी, अरविन्द झा, पूजा तोमर आदि ने काव्य पाठ किया। इससे पहले कवि सम्मेलन का उदघाटन पूर्वमंत्री अरिदमन सिंह, विधायक पक्षालिका सिंह ने किया।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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