यूपी को 6 महीने बाद मिल सकता है स्थाई डीजीपी,चौंका सकता है नाम

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार के रिटायरमेंट में छह महिने का समय बचा है और अभी तक नए नियमों के तहत डीजीपी के चयन के लिए कोई समिति गठित नहीं की गई है।इसका मतलब यह है कि कार्यवाहक डीजीपी प्रशांत कुमार जिन्हें सूबे का नया डीजीपी माना जा रहा था अब वो इस रेस से लगभग बाहर हो गए हैं।प्रशांत कुमार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबी थे और उनका ट्रैक रिकॉर्ड भी बेहतरीन था,लेकिन प्रशांत कुमार का नाम अंतिम चयन में शामिल नहीं होने से चौंकाने वाली स्थिति उत्पन्न हुई है।

यूपी में स्थायी डीजीपी की नियुक्ति के लिए शासन ने नई गाइडलाइन जारी की है,जिसमें डीजीपी के लिए न्यूनतम कार्यकाल छह महीने तय किया गया है।इसके अतिरिक्त डीजीपी का कार्यकाल कम से कम दो साल का होगा या 60 वर्ष की आयु तक वह इस पद पर बने रहेंगे,जो भी पहले हो अब उन आईपीएस अधिकारियों की ओर निगाहें हैं, जो 58 साल के आस-पास हैं और जिनका ट्रैक रिकॉर्ड जबरदस्त है। सूत्रों के मुताबिक सीएम योगी ऐसे अधिकारी की तलाश में हैं जो विवादों से दूर और परिणाम देने वाला हो।

नई गाइडलाइनों के बाद प्रशांत कुमार के अलावा पीवी रामाशास्त्री और आदित्य मिश्रा जैसे अधिकारियों के नाम भी रेस से बाहर हो गए हैं।अब सवाल यह उठता है कि यूपी का पहला पूर्णकालिक डीजीपी कौन हो सकता है।आशीष गुप्ता, संदीप साळुंके,बीके मौर्या,पीसी मीणा और अभय कुमार प्रसाद जैसे कुछ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम चर्चा में हैं। बरहाल ये अधिकारी सीएम योगी के भरोसेमंद अधिकारियों की लिस्ट में नहीं हैं।इसके अलावा दलजीत चौधरी,अलोक शर्मा और पियूष आनंद जैसे नाम भी सामने आ रहे हैं, जो केंद्रीय सेवा में कार्यरत हैं।

चर्चा यह भी है कि यूपी को पहली महिला डीजीपी मिल सकती हैं।रेणुका मिश्रा और तिलोत्मा वर्मा के नाम भी विचाराधीन हैं।प्रशांत कुमार के बाद सबसे अधिक संभावना राजीव कृष्ण की है।राजीव कृष्ण सीएम योगी के भरोसेमंद अधिकारियों में शामिल हैं और न‌ई गाइडलाइनों के अनुसार राजीव कृष्ण की योग्यता पूरी होती है।राजीव कृष्ण की डीजीपी बनने की संभावना अधिक बताई जा रही है।

योगी सरकार अब डीजीपी की नियुक्ति के लिए यूपीएससी की मंजूरी की बाध्यता से मुक्त हो गई है।डीजीपी चयन प्रक्रिया को एक पांच सदस्यीय कमेटी द्वारा संचालित किया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता एक रिटायर्ड हाई कोर्ट जज करेंगे।कमेटी में मुख्य सचिव,यूपीएससी द्वारा नामित एक अधिकारी,यूपी लोक सेवा आयोग अध्यक्ष या उनका नामित व्यक्ति,अपर मुख्य सचिव या प्रमुख गृह सचिव और एक रिटायर्ड डीजीपी शामिल होंगे।

उत्तर प्रदेश चौथा राज्य बन गया है,जिसने डीजीपी चयन के लिए नई नियमावली बनाई है।इस नियमावली के अनुसार डीजीपी की नियुक्ति आईपीएस अफसर के सेवा रिकॉर्ड और अनुभव के आधार पर की जाएगी।चयन के लिए उन अफसरों को तवज्जो दी जाएगी जिनका कम से कम छह महीने का कार्यकाल बचा हो।साथ ही डीजीपी की नियुक्ति कम से कम दो साल के लिए की जाएगी,लेकिन यदि सरकार किसी अधिकारी से संतुष्ट नहीं होती, तो उसे पद से हटा भी सकती है।

यूपी में स्थायी डीजीपी का पद पिछले ढाई साल से खाली है। लगातार चार कार्यवाहक डीजीपी के रहते हुए यूपी की पुलिस प्रशासन व्यवस्था चल रही है।मुकुल गोयल को हटाने के बाद डीएस चौहान को कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया गया जो 31 मार्च 2023 तक पद पर थे। इसके बाद आरके विश्वकर्मा को कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया, जो 31 मई 2023 को रिटायर हो गए। विजय कुमार को कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया गया, जो 31 जनवरी 2024 को रिटायर होंगे। फिर प्रशांत कुमार को कार्यवाहक डीजीपी बना दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को डीजीपी की नियुक्ति में अवमानना नोटिस जारी किया था।हालांकि योगी सरकार ने 5 नवंबर को डीजीपी की नियुक्ति के लिए नई गाइडलाइनों का ऐलान किया।अब 7 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी, जहां योगी सरकार अपनी नई गाइडलाइनों को कोर्ट के सामने रखेगी।यह देखना अहम होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या निर्णय लेता है और डीजीपी चयन प्रक्रिया के लिए बनी समिति पर उसका क्या रुख होता है।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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