मेरे अपने निजी अनुभव और विचार के मुताबिक़ यह घटना एक इंटरनल गैंगवॉर है।
विनोद तावड़े महाराष्ट्र से है और क्या पता कल को सीएम प्रत्याशी न बन कर खड़े हो जाये क़तार में!! इस संभावना को पहले से ही ख़ारिज करने के लिए उन्हें इस ट्रैप में फसाया गया ताकि एक कंपीटिटर तो रास्ते से कम हो।
वोटिंग से ठीक एक दिन पहले पैसे बंटना एक अलिखित रिवाज परंपरा है। हरेक बड़ा राजनीतिक दल या जिताऊ कैंडिडेट अपने अपने क्षेत्र में पैसे बाँटता है। असेंबली चुनावों में यह रक़म प्रति वोटर मिनिमम एक हज़ार से ले कर अपनी गरज मुताबिक़ दस हज़ार तक भी चली जाती है।
Note-
विनोद तावड़े का पकड़ा जाना कोई बहुत बड़ी आश्चर्यजनक घटना या सनसनी नहीं है। मेरा दावा है यदि आज रात भर ईमानदारी से कार्यवाही की जाए तो कम से कम सौ बंदे भारी भरकम कैश के साथ पकड़े जाएँगे।