भाई ये तो बहुत ही नाइंसाफी है। बिहार वाले गिरिराज सिंह के खिलाफ बिहार में ही किशनगंज थाने में एफआइआर दर्ज हो गयी। वह भी सांप्रदायिक भावनाएं भडक़ाने के लिए। बताइए, अगले का मोदी जी की सरकार में मंत्री के पद पर होने तक का ख्याल नहीं किया। उल्टे इसका ताना और कि जब मंत्री जी ने खुद ही अपने मंत्री के पद पर होने का ख्याल नहीं किया और हिंदू स्वाभिमान यात्रा के नाम पर सांप्रदायिकता फैलाने की यात्रा पर निकल पड़े, तो दूसरे ही कब तक उनके मंत्री पद का ख्याल करते ! बिहार में एफआइआर हो गयी, इसका भी ख्याल नहीं किया कि वहां गठजोड़ की सरकार है, जिसमें गिरिराज बाबू की पार्टी न सिर्फ शामिल है, बल्कि उसी तरह बड़ा भाई होकर भी, छोटा भाई की तरह रहने की उदारता दिखा रही है, जैसे महाराष्ट्र में पिछले दो साल से ज्यादा से दिखा रही थी। पर गिरिराज बाबू की उदारता देखिए, वह अब भी नीतीश कुमार को दोष नहीं देना चाहते। बल्कि शायराना अंदाज में कहते हैं — उनकी भी कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, यूं ही कोई बेवफा नहीं होता! एफआइआर का तो खैर क्या होना है, मोदी जी को सिरदर्द की शिकायत नहीं होनी चाहिए। वैसे भी थाने में एफआइआर अगर जिंदा रह भी गयी, तो मामला जाएगा तो अदालत के ही सामने। और न्याय की मूर्ति की आंखों की पट्टी अब हट चुकी है। केंद्रीय मंत्री के पद नाम पर एक नजर पड़ने की देर है, केस खुद-ब-खुद खारिज हो जाएगा।
लेकिन, हमारा इशारा यह हर्गिज नहीं है कि न्याय की मूर्ति चूंकि अब देख-देखकर न्याय देगी, सिर्फ इसीलिए गिरिराज बाबू निश्चिंत हैं। गिरिराज बाबू इसलिए निश्चिंत हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि उनके सिर पर मोदी जी का हाथ है और उनकी हिंदू स्वाभिमान टाइप की यात्राओं से मोदी जी उनके सिर से हाथ हटाने वाले नहीं हैं, बल्कि उनके सिर पर दोनों हाथों से छाया करेंगे। आखिर, मोदी जी अपनी चुनावी सभाओं में जो करते आए हैं और अब भी कर रहे हैं, वही तो गिरिराज बाबू भी कर रहे हैं — हिंदू जागरण। और हिंदू जागेगा कैसे? मुसलमानों के डर से। मुसलमानों से डर की कोई वजह हो या नहीं हो, पर हिंदुओं का डरना जरूरी है। डर चाहे कटने का हो या मंगल सूत्र से लेकर आरक्षण तक चोरी होने का या आबादी दूसरों के मुकाबले घट जाने का, हिंदुओं का डरना जरूरी है। हिंदू डरेंगे, तभी तो एक रहेेंगे। हिंदू डरेंगे नहीं, तो बिखर नहीं जाएंगे? गिरिराज बाबू से मोदी जी तब तक तो नाखुश नहीं हो सकते, जब तक कि दो सौ पार का टोटा नहीं पड़ जाता।
वैसे भी गिरिराज बाबू ने गलत क्या कहा है? सांप्रदायिकता फैलाने वाली बात ही क्या कही है? एक मुसलमान तमाचा मारे तो, सारे हिंदू इकट्ठे होकर उसे सौ तमाचे मारें, यह कहने में क्या सांप्रदायिकता है? यह तो हिंदू एकता और हिंदू जागरण की बात है! और हिंदुओं से बल्लम, तलवार, त्रिशूल वगैरह रखने की उनकी अपील तो एकदम गांधीवादी है। हथियार रखने को बोला है, चलाने को नहीं ; चलाने को सिर्फ तमाचे बोला है, चाहे एक के बदले में सौ तमाचे ही क्यों न चलाने पड़ें। अब इस जमाने में इससे ज्यादा गांधीवादी तो खुद गांधी जी भी ना होते। खांटी गांधीवादी हिंदुओं पर भी एफआइआर! योगी जी सही कहते हैं, बंटोगे तो कटोगे, भगवा पार्टी को वोट देने में एक रहोगे, तो नेक रहोगे।
(व्यंग्यकार वरिष्ठ पत्रकार और ‘लोकलहर’ के संपादक हैं।)