योग्य पत्नी सिर्फ़ पति से भरण-पोषण पाने के लिए खाली नहीं बैठ सकती: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

योग्य पत्नी सिर्फ़ पति से भरण-पोषण पाने के लिए खाली नहीं बैठ सकती: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राशि घटाई

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने माना कि पत्नी सहित कोई भी योग्य पति या पत्नी सिर्फ़ अपने साथी से भरण-पोषण पाने के लिए खाली नहीं बैठ सकता।

जस्टिस प्रेम नारायण सिंह ने कहा,

🟤 “योग्य पति या पत्नी को अपने पति से मिलने वाली भरण-पोषण राशि के आधार पर खाली नहीं बैठना चाहिए या खाली नहीं रहना चाहिए। CrPc की धारा 125 का गठन ऐसे लोगों की फौज बनाने के लिए नहीं किया गया, जो दूसरे पति या पत्नी की आय से भरण-पोषण पाने की प्रतीक्षा कर रहे हों।”

इस प्रकार इसने मास्टर डिग्री रखने वाली और कमाने की क्षमता रखने वाली पत्नी को दिए जाने वाले भरण-पोषण की राशि घटा दी।

पीठ ने टिप्पणी की,

🔵 “यह माना जा सकता है कि वह किसी भी काम या व्यवसाय में खुद को शामिल करके आसानी से अच्छी आय अर्जित कर सकती है। न तो विवाहित महिला को नौकरी करने से रोका जाता है, न ही अलग रहने वाली और अपने पति से भरण-पोषण प्राप्त करने वाली विवाहित महिला को खुद को नौकरी करने और अपनी आजीविका के लिए कुछ आय अर्जित करने से रोका जाता है।”

🟢 पत्नी ने दुर्व्यवहार का आरोप लगाया। दावा किया कि उसके पति ने रिपोर्ट की गई राशि से काफी अधिक कमाई की, जबकि पति ने तर्क दिया कि वह आर्थिक रूप से स्वतंत्र थी, वह दुबई में अपनी नौकरी और इंदौर में व्यवसाय दोनों से कमाई करती थी।

🟠 न्यायालय ने पति की वित्तीय स्थिति का आकलन किया और गुजारा भत्ता के रूप में उसके द्वारा पहले दिए गए 21,75,000 के भुगतान और नौकरी छूटने के कारण उसकी आय में कमी को स्वीकार किया। इसलिए न्यायालय ने भरण-पोषण राशि को 60,000 से घटाकर 40,000 कर दिया।

🟡 “सम्पूर्ण विश्लेषण और माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून के आधार पर पति की आय और उसके दायित्वों तथा इस तथ्य को देखते हुए कि पत्नी सुशिक्षित महिला है। उसके पास आय का अपना स्रोत भी है, इस न्यायालय का विचार है कि 60,000 रुपये प्रति माह की भरण-पोषण राशि अधिक है। इसे घटाकर 40,000 रुपये प्रति माह किया जाना चाहिए।”

केस टाइटल- शिखा बनाम अवनीश महोदया

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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