बाँदा में समाजसेवी शालिनी पटेल ने केन्द्र वा प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए

“बाँदा में समाजसेवी शालिनी पटेल ने केन्द्र वा प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए जनता के लिए रोजगार और शिछा की मांग की तथा पत्रकारों की लड़ाई लड़ने का बीड़ा उठाया”


बाँदा की समाजसेवी ने आज केन्द्र व प्रदेश सरकार पर जमकर निशाना साधते हुए देश के चौथे स्तंभ मीडिया को लेकर चिंता जताई है । शालिनी पटेल ने सरकार से बाँदा की जनता के लिए बेरोजगारी, शिछा, छोटे उद्योग डालने तथा मीडिया की सुरछा व सम्मान की आवाज उठाने के लिए मुहिम छेड़ी है । कहा कि जनप्रतिनिधि काम नही करना चाहते है, ऐसी से बाहर नही निकलते हैं ।

समाजसेवी शालिनी पटेल ने कहा कि योगी और मोदी जी जनता को जो ये राशन आप दे रहे हौ वो अपने घर से नही दे रहे हो , ये हमारा ही पैसा है, आप हमपर कोई अहसान नही कर रहे हैं । हमे कोई राशन की आवश्यकता नही है, हमारे बुंदेलखंडवासी इतने सछम है कि हमारे पास खेती है, हम गल्ला बेचकर खा लेंगे । आज महंगाई चरम सीमा पर है, तेल 200 रुपये है, महंगाई बढ़ाये हो, अगर आपको बाटना है तो आप पेट्रोल बाट दीजिये, तेल बात दीजिये । समाजसेवी ने सरकार व जनप्रतिनिधियों से निवेदन किया कि हमे राशन नही चाहिए है, हमे स्वास्थ्य सेवाएं चाहिए, शिछा को अच्छे स्कूल चाहिए, रोजगार चाहिए, कताई मिल चाहिए, छोटी फैक्ट्री चाहिए, लघु उद्योग चाहिए ।

समाजसेवी शालिनी पटेल ने कहा कि आप कहते है कि लोगो को 5 लाख दे रहे हैं पर किसी को नही मिलता है, गरीबो की बैंक के चक्कर काटते-२ चप्पल घिस जाती है और हारकर घर पर बैठ जाते है । बेरोजगारी की कमी से अपराध बढ़ता जा रहा है, लोग चोरी और मर्डर कर रहे है, मेरा पीएम, सीएम व जनप्रतिनिधियो से निवेदन है हमे कुछ नही चाहिए हमे शिछा, स्वास्थ्य और रोजगार दे दीजिए । कहा कि जनता से निवेदन है आप सब इस मुहिम पर आइये और हमारे उस अभियान को सफल बनायें । कहा कि सरकार की जो भी योजनाएं है वी सभी टीवी, पेपर और धरातल पर ही चल रही है, आप देख सकते है कि कलैक्ट्रेट में शौचालय बने है, पर आज तक खुले नही है, उनमें सालों से ताले बंद है, यहां पानी के पीने की व्यवस्था तक नही है, गाँव की सड़कों।का बुरा हाल है, सड़के मौत को दावत दे रही है, आये दिन हादसे हो रहे हैं, यहां के जनप्रतिनिधि काम नही करना चाहते है, ऐसी से बाहर निकलना नही चाहते हैं ।

कोरोनाकाल में आपने देखा होगा है की अगर सरकार की अच्छी व्यवस्था होती तो लोगो की लाशों को गंगा के बाहर दफनाया नही जाता पानी ना होने की वजह से, बेटा अपने पिता की लाश को लेने से मना कर देता था आक्सीजन की कमी से, दवा की कमी से, बेड की कमी से कितने लोगों की मृत्यु हुई है । अगर हम बेरोजगार की बात करें तो देश का रोजगार घटता जा रहा है, देश की अर्थव्यबस्था कितना नीचे चली गयी है । मीडिया पर कहा कि हम लगातार लोगों को जागरुक कर रहे है, चाहे पत्रकार हो या चाहे जनता हो, देश मे आजादी छीन ली गयी है, लोकतंत्र पूरी तरह से समाप्त हो गया है । देश मे।पत्रकारों पर अत्याचार बढ़ता जा रहा है, पत्रकारों के पेड़ में बेड़िया डाल दी गयी हैं, पत्रकार खुलकर सच्चाई नही दिखा पा रहा है । आये।दिन पत्रकारों पर अत्याचार हो रहा है, उनको सच दिखाने पर अर्द्धनग्न किया जा रहा है । देश गुलामी की तरफ बढ़ रहा है, अब भगत सिंह, चंद्रशेखर या रानी लछमीबाई नही आएंगे, हमे खुद मुहिम छेड़नी पड़ेगी, अपनी।लड़ाई खुद लड़नी पड़ेगी । कहा कि मैँ लगातार मीडिया के लिए आवाज उठाती चली आ रही हूँ, मैंने कई बार राज्यपाल और प्रधानमंत्री को मीडिया की समस्याओं को लेकर ज्ञापन दिया है ।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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