
एटा
जवाहर लाल नेहरू महाविद्यालय, एटा की राष्ट्रीय सेवा योजना की तीनों इकाइयों का सात दिवसीय विशेष शिविर रोज एकेडमी स्कूल, आगरा रोड, एटा में चल रहा है। शिविर के तीसरे दिन दिनांक 13 मार्च 2024 को कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं वंदना के साथ हुई। राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों ने एन.एस.एस. की शपथ ली और एन.एस.एस. गीत प्रस्तुत किया। शिविर के आज के दिन की शुरुआत स्वच्छता अभियान के साथ हुई। वालेंटियर्स ने आसपास के इलाके में साफ-सफाई की। स्वयं स्वच्छ रहने का संकल्प लिया और लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया।
राष्ट्रीय सेवा योजना के शिविर का दूसरा सत्र नशा मुक्ति अभियान पर केंद्रित रहा। जिला समन्वयक एवं प्रथम इकाई के कार्यक्रम अधिकारी श्री संजय यादव ने कहा कि नशा हम सब के लिए एक अभिशाप है। जो हमारे समाज में आम है। हम जानते हैं कि मानव ही इस धरती पर सबसे बुद्धिमान और शक्तिशाली है और अपने जीवन को सुखद बनाने के लिए हर संभव कोशिश करता है लेकिन अच्छी शिक्षा के अभाव में लोग कम उम्र में ही नशा जैसे अन्य शारीरिक परिणामों का शिकार हो जाते हैं और आजीवन नशे की लत में रहते हैं। राष्ट्रीय सेवा योजना अपने प्रकल्पों के माध्यम से लोगों को नशे की आदतों से बचाने के लिए निरंतर कार्यरत् है।
इस अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना की दूसरी इकाई की कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती जया गुप्ता ने कहा कि नशा मुक्ति का महत्व न केवल व्यक्ति के स्वास्थ्य और जीवन के लिए है, बल्कि समाज के विकास के लिए भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। नशे का सेवन समाज में अपराध, गरीबी, और परिवारों के टूटने की प्रमुख वजह है।नशे के कारण मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बिगाड़ देते हैं। यह व्यक्ति के व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन को भी प्रभावित करता है और उनके संबंधों को भी क्षति पहुंचाता है।नशा मुक्ति के उपायों में शिक्षा, सशक्तिकरण, और चिकित्सा सहायता शामिल होती है। समाज में जागरूकता फैलाने और नशे के सेवन को रोकने के लिए कई प्रमुख पहलुओं पर काम किया जा रहा है।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय सेवा योजना की तीसरी इकाई के कार्यक्रम अधिकारी डॉ रत्नेश कुमार मिश्र ने नशा मुक्ति अभियान के अंतर्गत आज के दिन अर्थात् मार्च के दूसरे बुधवार को मनाए जाने वाले धूम्रपान निषेध दिवस पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह हर साल मार्च के दूसरे बुधवार को मनाया जाता है। इस वर्ष 2024 में यह 13 मार्च को मनाया जा रहा है। धूम्रपान छोड़ने के इच्छुक धूम्रपान करने वालों की मदद करने और दैनिक जीवन में धूम्रपान के स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल यह दिवस मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि धूम्रपान विभिन्न बीमारियों का कारण बनता है और शरीर के लगभग प्रत्येक अंग को नुकसान पहुँचाता है। यह न सिर्फ धूम्रपान करने वालों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है बल्कि आसपास रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य को भी दुष्प्रभावित करता है। सीडीसी की रिपोर्ट के मुताबिक 16 मिलियन से अधिक अमेरिकी धूम्रपान से होने वाली बीमारियों के साथ जी रहे हैं। प्रतिवर्ष स्तन कैंसर की तुलना में फेफड़ों के कैंसर से अधिक महिलाएं मरती हैं। क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के कारण धूम्रपान लगभग 80% मौतों का कारण बनता है। इसलिए, सिगरेट पीने से पुरुषों और महिलाओं दोनों में मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए हमें न सिर्फ स्वयं को बल्कि समाज के सभी लोगों को धूम्रपान और नशे की प्रत्येक लत के प्रति सावधान करना चाहिए।
आज के शिविर के तृतीय सत्र में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित जवाहरलाल नेहरू महाविद्यालय एटा के भूगोल विभाग के प्रभारी डॉ सुनील विप्रा ने युवाओं में चरित्र निर्माण की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि हमें अपने पर नियंत्रण स्थापित करने की आवश्यकता है। उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता ग्रंथ के आवरण पर बने चित्र का उल्लेख करते हुए बताया कि इस रथ-रथी चित्र से हमें कुछ शिक्षा लेनी चाहिए। यहां रथ हमारा शरीर है। हमारी पाँच इंद्रियां पाँच घोडों की तरह हैं। मन लगाम और अर्जुन जीवात्मा के समान है। सारथी श्रीकृष्ण स्वयं हमारे भीतर विराजमान विवेक है। यदि हम अपने विवेक के सत्परामर्श का अनुपालन करें तो संसार समरांगण में हमारी विजय अवश्य होगी।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित जवाहरलाल नेहरू महाविद्यालय एटा के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ प्रेमीराम मिश्र ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमें अपने व्यक्तित्व को महान बनाने के लिए चरैवेति का सूत्र धारण करना चाहिए।उन्होंने आचार्य विनोबा भावे के निबंध “चिर तारुण्य की साधना” का उल्लेख करते हुए बताया कि हमें निरंतर हनुमानजी के चरित्र से प्रेरणा लेनी चाहिए। हमें सदैव अपने लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध रहना चाहिए। हर संकट से उबरने का एक ही सूत्र है- आपकी दृढ़ इच्छा शक्ति। शारीरिक बल बिना मनोबल के बेकार है। उन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के चरित्र पर प्रकाश डालते हुए बताया कि हमें उनको सिर्फ भगवान मानकर पूजना ही नहीं है बल्कि उनके पदचिन्हों पर चलना भी है। महात्मा बुद्ध और अंगुलिमाल का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि एक प्रखर चरित्र और व्यक्तित्व का धनी महापुरुष कैसे एक दुष्ट व्यक्ति को सन्मार्ग पर ला सकता है। उन्होंने सावधान किया कि लिबास को पर्सनालिटी का पर्याय न मान बैठें। लिबास सिर्फ ऊपरी चमक पैदा करता है चरित्र निर्माण के लिए हमें अंदर की चमक पैदा करने की आवश्यकता है और यह उचित शिक्षा व्यवस्था के माध्यम से ही संभव है।
शिविर के दौरान स्वयंसेविकाओं ने मेंहदी प्रतियोगिता में बढ़चढ़ कर प्रतिभाग किया। शिविरार्थियों ने गीत एवं नाटक के माध्यम से अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। स्वयंसेवकों में लोकेश सिंह, अभिषेक कुमार, तथा स्वयंसेविकाओं में पूजा, अंजली यादव, पारुल, आरती आयुषी मिश्रा, समीक्षा शर्मा आदि की प्रस्तुतियां विशेष सराहनीय रहीं। इस अवसर पर महाविद्यालय के मुख्य अनुशासन अधिकारी डॉ. प्रवेश पांडेय सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर (डॉ.) भारत भूषण सिंह परिहार ने सभी स्वयंसेवकों व स्वयंसेविकाओं के उत्साहपूर्ण प्रतिभाग के लिए उनकी सराहना की तथा कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए कार्यक्रम अधिकारियों श्री संजय यादव, श्रीमती जया गुप्ता एवं डॉ. रत्नेश कुमार मिश्र को बधाईयां दीं।