नोएडा-गाजियाबाद

नोएडा, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के औद्योगिक शहर नोएडा और गाजियाबाद से मजदूरों के शोषण की एक बड़ी और गंभीर समस्या सामने आई है। यहाँ कार्यरत मजदूरों को 8 घंटे के काम के लिए मात्र 8,000 से 10,000 रुपये तक का ही वेतन मिलता है, जबकि उनसे अक्सर 12 घंटे तक काम करवाया जाता है। यह स्थिति ठेकेदारी प्रथा के तहत होने वाले व्यापक शोषण को उजागर करती है, जिसे तत्काल खत्म करने की मांग जोर पकड़ रही है।
सशक्त मीडिया भ्रष्टाचार मुक्त भारत अभियान चला रही भारतीय मीडिया फाउंडेशन (बीएमएफ) ने इस गंभीर समस्या का संज्ञान लिया है। नोएडा स्थित कई कंपनियों में काम करने वाले मजदूरों ने बीएमएफ से संपर्क साधा है। अपनी पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर मजदूरों ने भारतीय मीडिया फाउंडेशन के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि उन्हें पगार के रूप में मात्र 8,000 से 10,000 रुपये तक ही मिल पाते हैं, जो उनके कठोर परिश्रम और बढ़ती महंगाई के मुकाबले बेहद कम है।
मजदूरों की इस गोपनीय शिकायत के बाद, भारतीय मीडिया फाउंडेशन ने भी इस मामले की गोपनीय तरीके से जांच-पड़ताल शुरू कर दी है। बीएमएफ का कहना है कि यह जांच पूरी होने के बाद, इस खबर को व्यापक रूप से सार्वजनिक किया जाएगा और उत्तर प्रदेश सरकार व संबंधित श्रम विभाग को इस गंभीर स्थिति से अवगत कराया जाएगा।
भारतीय मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक एके बिंदुसार ने इस मामले पर अपनी गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि जांच पूर्ण होने के बाद इस मामले में बड़ी कार्रवाई कराई जा सकती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मजदूरों के अधिकारों का हनन किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और बीएमएफ यह सुनिश्चित करेगा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं।
यह स्थिति उत्तर प्रदेश के तेजी से विकसित हो रहे औद्योगिक क्षेत्रों में श्रमिकों की दयनीय दशा को दर्शाती है। आठ घंटे की मानक कार्य अवधि के बावजूद उनसे 12 घंटे तक काम करवाना और उसके बदले में नाममात्र का वेतन देना, श्रम कानूनों का सीधा उल्लंघन है। ठेकेदारी प्रथा, जो अक्सर इस तरह के शोषण का माध्यम बनती है, को समाप्त करने की मांग लंबे समय से उठ रही है। भारतीय मीडिया फाउंडेशन की यह पहल उम्मीद जगाती है कि मजदूरों की इस समस्या पर गंभीरता से ध्यान दिया जाएगा और उन्हें न्याय मिलेगा। जांच के बाद सामने आने वाले तथ्य और बीएमएफ की आगामी कार्रवाई पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।