राजीव गांधी पंचायती राज संगठन, एटा द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन

एटा,राजीव गांधी पंचायती राज संगठन, एटा द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन ग्राम नगला पवल ब्लाक शीतलपुर में किया गया। इस कार्यक्रम में विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक हस्तियों ने भाग लिया और राजीव गांधी के योगदान को याद किया।

  • कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एआईसीसी नेता तारा राजपूत,पूर्व कार्यवाहक जिला अध्यक्ष ठाकुर अनिल सोलंकी ,किसान नेता राजपाल वर्मा मौजूद रहे संचालन सोहनलाल वर्मा (जिला अध्यक्ष, राजीव गांधी पंचायती राज संगठन) ने किया।विचार गोष्ठी में नेताओं ने विचार प्रकट किए राजीव गांधी की जीवनी पर विचार प्रकट किए
    राजीव गांधी भारत के सबसे युवा और दूरदर्शी प्रधानमंत्रियों में से एक थे, जिन्होंने देश को आधुनिकता और तकनीकी विकास की राह पर आगे बढ़ाया। उनका जन्म 20 अगस्त, 1944 को हुआ था और वे भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के पुत्र तथा भारत रत्न पंडित जवाहरलाल नेहरू के पौत्र थे। प्रमुख योगदान:
  1. तकनीकी क्रांति (IT Revolution):
  • राजीव गांधी ने कंप्यूटर और दूरसंचार क्रांति की नींव रखी, जिसने भारत को 21वीं सदी में डिजिटल महाशक्ति बनने का मार्ग प्रशस्त किया।
  • उन्होंने एस्ट्रोनॉमर सामाजिक वैज्ञानिक डॉ. सम्पूर्णानंद के साथ मिलकर “भारतीय जनता पार्टी” की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  1. पंचायती राज व्यवस्था को मजबूती:
  • उन्होंने 73वें और 74वें संविधान संशोधन के माध्यम से स्थानीय स्वशासन को संवैधानिक दर्जा दिलाया, जिससे ग्रामीण भारत का विकास तेज हुआ।
  1. शिक्षा और युवाओं पर विशेष ध्यान:
  • जवाहर नवोदय विद्यालय और इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) की स्थापना में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।
  1. आर्थिक सुधारों की शुरुआत:
  • उनके कार्यकाल में आर्थिक उदारीकरण की नींव पड़ी, जिसे बाद में नरसिम्हा राव सरकार ने आगे बढ़ाया।

एक दुखद अंत:

21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक आत्मघाती हमले में उनकी निर्मम हत्या कर दी गई। उनकी मृत्यु ने भारत को एक महान नेता से वंचित कर दिया, लेकिन उनके विचार और सपने आज भी देश को प्रेरित करते हैं।

निष्कर्ष:

राजीव गांधी ने अपने छोटे से कार्यकाल में ही भारत को नई दिशा दी। उनका सपना “डिजिटल इंडिया” और “सशक्त पंचायती राज” आज भी प्रासंगिक है। उनकी पुण्यतिथि पर हम सभी को उनके आदर्शों को आत्मसात करते हुए राष्ट्र निर्माण में योगदान देना चाहिए।
अन्य उपस्थित वक्ता:** अवधेश यादव, नेमा दिवाकर, ज्योति सोलंकी (एडवोकेट) उपस्थित अन्य प्रमुख लोग:देवी सिंह राजपूत, नरेश राजपूत, वीरपाल लोधी, मनपाल सिंह, हंस राजपूत, विमल राजपूत, प्रदीप वर्मा, अंगूरी देवी, सागर, तारा राजपूत, राजपाल, उमेंद्र लोधी, सोनवी दिवाकर, जितेंद्र राणा, धर्मेंद्र लोधी, निरमा दिवाकर, ओमप्रकाश तोमर, पंकज गौतम आदि।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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