स्वतंत्र पत्रकार पर SC/ST एक्ट के तहत मामला: ब्रह्मदेव प्रसाद यादव बोले—”जनता तय करे मेरा गुनाह क्या है”

झाझा, बिहार: झाझा से एक शर्मनाक और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर सीधा हमला करने वाला मामला सामने आया है, जिसने पूरे पत्रकारिता जगत को झकझोर कर रख दिया है। बिहार-झारखंड न्यूज़ लाइव चैनल के निर्भीक हेड और स्वतंत्र पत्रकार ब्रह्मदेव प्रसाद यादव के खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, जिसे कुख्यात रूप से SC/ST एक्ट के नाम से जाना जाता है, के तहत एक मनगढ़ंत प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गई है। यह घटना सिर्फ एक पत्रकार पर हमला नहीं, बल्कि स्वतंत्र पत्रकारिता के गले को घोंटने और कानून के घोर दुरुपयोग का एक जीता-जागता उदाहरण है।
पत्रकारिता जगत में उबाल, भारतीय मीडिया फाउंडेशन का आर-पार का ऐलान
ब्रह्मदेव प्रसाद यादव पर इस दुर्भावनापूर्ण FIR के बाद से स्थानीय और राज्य स्तर पर पत्रकार संगठनों और पत्रकारों में आक्रोश का ज्वार उमड़ पड़ा है। भारतीय मीडिया फाउंडेशन ने इस कायराना हरकत की कड़ी निंदा की है और इसे लोकतंत्र के मूल्यों पर सीधा आघात बताया है। यूनियन के संस्थापक एके बिंदुसार ने इस मामले को लेकर हुंकार भरते हुए कहा है कि अब आर-पार की लड़ाई होगी।
श्री बिंदुसार ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि किसी विशेष वर्ग या समुदाय की सुरक्षा के लिए बनाए गए पवित्र कानून का दुरुपयोग अपने निजी स्वार्थ के लिए करने वाला व्यक्ति सिर्फ राष्ट्र द्रोही ही नहीं, बल्कि संविधान विरोधी भी है। उन्होंने ऐसे ‘कानून विरोधियों’ के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की मांग की है, ताकि भविष्य में कोई भी कानून का मज़ाक बनाने की हिम्मत न कर सके।
उन्होंने इस पूरे षड्यंत्र में स्थानीय प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े किए। श्री बिंदुसार के अनुसार, स्थानीय पुलिस ने ‘फर्जी मुकदमा’ दर्ज करके न केवल अपनी विश्वसनीयता खोई है, बल्कि ‘अनैतिक कार्य’ करके खाकी वर्दी को भी दागदार किया है। उन्होंने ऐसे भ्रष्ट पुलिस कर्मियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की है, जो सत्ता के इशारे पर काम कर रहे हैं।
ब्रह्मदेव प्रसाद यादव का ललकार: “अगर मैं गलत हूं तो जेल जाने को तैयार, स्वाभिमान से समझौता नहीं”
इस पूरे प्रकरण पर अपनी अडिग प्रतिक्रिया देते हुए पत्रकार ब्रह्मदेव प्रसाद यादव ने चुनौती देते हुए कहा है कि यदि वे गलत साबित होते हैं तो जेल जाने के लिए तैयार हैं, लेकिन वे अपने स्वाभिमान से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने इस मामले में जनता को अंतिम निर्णायक बताते हुए कहा, “जनता तय करे कि मेरा गुनाह क्या है।” यह सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि जनता की अदालत में न्याय की पुकार है।
उन्होंने इस FIR को सीधे तौर पर राजनीति से प्रेरित बताया और आरोप लगाया कि यह स्वतंत्र पत्रकारिता की आवाज़ को कुचलने का एक सुनियोजित और घिनौना प्रयास है। ब्रह्मदेव प्रसाद यादव के मुताबिक, झाझा में कानून को अपने अनुसार मोड़ने की कोशिश की जा रही है और पत्रकारों को झूठे मुकदमों में फंसाया जा रहा है ताकि वे सत्ता के खिलाफ निष्पक्ष पत्रकारिता न कर सकें। यह एक खतरनाक प्रवृत्ति है जो लोकतंत्र के लिए घातक है।
मामले की पृष्ठभूमि: बलजीत पासवान विवाद और ‘स्वतंत्र पत्रकारिता पर सीधा हमला’
ब्रह्मदेव प्रसाद यादव ने खुलासा किया कि यह मामला पत्रकार बलजीत पासवान के साथ हुए एक मामूली विवाद के बाद का है। उनका कहना है कि इस विवाद में जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण तरीके से SC/ST कानून का सहारा लेकर उन पर मामला दर्ज कराया गया है। उन्होंने इसे ‘स्वतंत्र पत्रकारिता पर सीधा हमला’ करार दिया। उनका मानना है कि यह उन्हें डराने, उनकी कलम को तोड़ने और उनकी आवाज़ को हमेशा के लिए खामोश करने की एक सोची-समझी साज़िश है।
निष्पक्ष जांच की मांग: न्याय के लिए संघर्ष और छवि धूमिल करने का प्रयास
ब्रह्मदेव प्रसाद यादव ने प्रशासन और पुलिस से इस मामले की तत्काल, निष्पक्ष और ईमानदार जांच करने की मांग की है ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। उन्होंने यह भी बताया कि स्थानीय स्तर पर कुछ असामाजिक तत्व सक्रिय हैं जो उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने और उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। यह न्याय के मार्ग में बाधा डालने का एक और प्रयास है।
पत्रकार सुरक्षा पर गंभीर सवाल: लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी
झाझा की इस घटना ने एक बार फिर देश में पत्रकार सुरक्षा की लचर स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पत्रकारों पर बढ़ते हमले, सत्ता के इशारे पर दर्ज किए जा रहे झूठे मुकदमे और उन्हें डराने-धमकाने की घटनाएं अब एक आम बात हो गई हैं, जो लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है। पत्रकार संगठनों से लेकर बुद्धिजीवी वर्ग तक, अब इस पूरे मसले पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए तत्काल ठोस कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। इस मामले की निष्पक्ष जांच और सच का सामने आना बेहद ज़रूरी है ताकि स्वतंत्र पत्रकारिता सुरक्षित रह सके और लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मज़बूत बना रहे।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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