
मैं आप सबको यह भी बताना चाहता हूँ कि स्व. राजीव गॉधी की अंतिम यात्रा में शामिल होने दुनिया के 64 देशों से उच्च स्तरीय प्रतिनिधि आये थे , जिसमें से 20 राष्ट्राध्यक्ष थे। इंग्लैंड से प्रिंस चार्ल्स भी राजीव जी की अंत्येष्टि मे शामिल हुए थे ।
पाकिस्तान (Pakistan) से प्रधानमंत्री नवाज शऱीफ और उनकी राजनीतिक शत्रु बेनजीर भुट्टो (Benazir Bhutto) भी आए थे।
किसी भी देश के पूर्व प्रधानमंत्री की अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिये इतनी बड़ी संख्या में विदेशी प्रतिनिधियों व राष्ट्राध्यक्षों का शामिल होना यह दर्शाता है कि राजीव गॉधी को पूरा विश्व कितनी अहमियत देता था । यूएनओ के महासचिव व फ़िलिस्तीन के यासीर अराफात भी आये थे। यासीर अराफ़ात साहब जैसे मज़बूत शख़्स को भी राजीव जी के मृत शरीर के पास रोते हुऐ देखा गया था । अमेरिका के House of Representatives के सदस्यों ने सदन में दो मिनट का मौन रखकर राजीव जी को श्रद्धांजलि दी थी और तत्कालीन राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश ने गहरी संवेदना व्यक्त करते हुऐ राजीव जी अपने संबंधों को याद किया था।
राजीव गांधी की शव यात्रा लुटियंस दिल्ली से निकलकर आईटीओ होते हुए अपने गंतव्य पर पहुंची थी। सड़क के दोनों तरफ लाखों दिल्लीवाले अपने अजीज नेता के अंतिम दर्शनों के लिए खड़े थे। दिल्ली में सूरज आग उगल रहा था। गर्मी को झेलते हुए शोकाकुल दिल्ली सड़कों से हिलने का नाम नहीं ले रही थी। सब नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दे रहे थे। इन्हीं सड़कों से पहले पंडित जवाहरलाल नेहरु, इंदिरा गांधी और संजय गांधी की शव यात्राएं निकलीं थीं। तब भी सड़कों पर लाखों लोग खड़े थे। इसी मार्ग से महात्मा गांधी की भी शवयात्रा निकली थी। कहते हैं कि सैकड़ों लोग अपने घरों से अंत्येष्टि के लिए घी लेकर आए थे तथा हजारों ने अपने सिर मुंडवाए थे।
🙏🙏🙏पुण्य तिथि पर नमन🙏🙏🙏