21 मई – राष्ट्रीय उग्रवाद विरोधी दिवस

भारत में हर साल 21 मई को राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी दिवस मनाया जाता है। यह दिन पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी की पुण्यतिथि के रूप में समर्पित है, जिनका 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) के एक आत्मघाती हमले में निधन हो गया था। राजीव गांधी, भारत के छठे प्रधानमंत्री, अपनी मां और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 31 अक्टूबर 1984 को केवल 40 वर्ष की उम्र में प्रधानमंत्री बने थे, जिससे वे देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री बन गए।

राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी दिवस की स्थापना वी. पी. सिंह सरकार ने की थी, जिसका उद्देश्य आतंकवाद और हिंसा के घातक प्रभावों के प्रति समाज में जागरूकता बढ़ाना और शांति, एकता तथा सद्भावना को बढ़ावा देना है। यह दिन न केवल राजीव गांधी की स्मृति में मनाया जाता है, बल्कि यह एक संकल्प दिवस भी है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ता से लड़ता रहेगा।

राजीव गांधी ने अपने कार्यकाल में (1984-1989) आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ कई कदम उठाए। 1987 में उन्होंने श्रीलंका में शांति स्थापित करने के लिए भारतीय शांति सेना (IPKF) भेजी, जिससे लिट्टे के साथ उनके संबंध तनावपूर्ण हो गए और यह उनके खिलाफ एक बड़ा मोड़ साबित हुआ। इस दिन देशभर के शैक्षणिक संस्थान, सरकारी कार्यालय और सामाजिक संगठन वाद-विवाद, सेमिनार और चर्चाओं का आयोजन करते हैं ताकि आतंकवाद के दुष्प्रभावों को समझाया जा सके और समाज को आतंकवाद जैसी बुराइयों के खिलाफ एकजुट किया जा सके।

  • कश्मीर में आतंकवाद और हालिया चुनौतियाँ

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए निर्दय आतंकवादी हमले ने घाटी में व्याप्त शांति की उम्मीदों को गहरा आघात पहुँचाया है। इस दर्दनाक घटना की कश्मीर, पूरे भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी निंदा हुई है। कश्मीर का पर्यटन उद्योग राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और इस हमले ने न केवल इस क्षेत्र को प्रभावित किया है, बल्कि घाटी की वैश्विक छवि को भी गंभीर चोट पहुंचाई है। यह हमला ‘टूरिज़्म बनाम टेररिज़्म’ की बहस को पुनः जीवित कर गया है, जहाँ एक ओर घाटी की सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक सौंदर्य है, वहीं दूसरी ओर आतंकवाद विकास की राह में एक बड़ी बाधा बना हुआ है।

  • कश्मीर में आतंकवाद का ऐतिहासिक संदर्भ:

1989 में कश्मीर में राजनीतिक अस्थिरता, चुनावी धांधली और सामाजिक असंतोष के कारण उग्रवाद का दौर शुरू हुआ। जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) जैसे संगठन इसे स्वतंत्रता आंदोलन के रूप में फैलाने लगे। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI की मदद से चरमपंथी स्थानीय युवाओं को भारत-विरोधी गतिविधियों में लिप्त करने लगे। भ्रष्टाचार और प्रशासनिक कमजोरी ने इन आंदोलनों को जनसमर्थन दिलाने में सहायता की।

धार्मिक कट्टरता और राजनीतिक संघर्ष को एक साथ जोड़ा गया। अलगाववादी नेताओं ने ‘इस्लामिक जिहाद’ का नारा देकर अंतरराष्ट्रीय इस्लामी संगठनों से समर्थन प्राप्त किया। मस्जिदों, मदरसों और मीडिया का दुरुपयोग करके उग्रवादी विचारधारा को फैलाया गया। उच्च बेरोजगारी, शिक्षा की कमी और राजनीतिक अनिश्चितता के कारण युवाओं में कट्टरपंथ की ओर झुकाव बढ़ा। उग्रवादी समूहों ने ‘शहादत’ को आदर्श बनाकर युवाओं को हिंसा की ओर प्रेरित किया। 2010 के बाद स्थानीय स्तर पर मिलिटेंसी और बढ़ी।

पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में ‘प्रॉक्सी वॉर’ लगातार चला रहा है। सीमा पार से लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी समूह भारत में आतंक फैलाते रहे हैं। ड्रोन के जरिए हथियारों और ड्रग्स की सप्लाई और सीमा पर घुसपैठ की घटनाएँ लगातार हो रही हैं। ‘हाइब्रिड टेररिज़्म’ के रूप में नया खतरा उभर रहा है, जिसमें आम नागरिकों को भी आतंकवादी गतिविधियों में शामिल किया जाता है।

  • शांति स्थापना के प्रमुख प्रयास:
  • 2019 में अनुच्छेद 370 के हटाए जाने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने से प्रशासनिक सुधार और विकास को बढ़ावा मिला।
  • 70,000 करोड़ रुपये से अधिक के आर्थिक निवेश और नई सड़कें, टनल, रेलवे कनेक्शन व एयरपोर्ट के विस्तार से अवसंरचना मजबूत हुई।
  • 2023 में श्रीनगर में G20 टूरिज़्म वर्किंग ग्रुप की बैठक
  • सफलतापूर्वक आयोजित हुई, जिससे कश्मीर की वैश्विक छवि में सुधार हुआ।
  • विधानसभा, पंचायत और जिला परिषद के चुनावों ने स्थानीय लोकतंत्र को सशक्त किया।
  • युवाओं को हिंसा से दूर लाने के लिए कौशल विकास, खेल-कूद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
  • पर्यटन पुनरुद्धार के लिए नए होम-स्टे स्कीम, फिल्म शूटिंग नियम और सांस्कृतिक महोत्सवों को बढ़ावा दिया गया।
  • सुरक्षा के लिए तकनीक आधारित निगरानी, मिनिमल डैमेज पॉलिसी और स्थानीय समुदाय के साथ संवाद को प्राथमिकता दी गई।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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