
सनातन बोर्ड बनाने एवं भारत को सनातन राष्ट्र घोषित करके संवैधानिक दर्जा देने की मांग।
नई दिल्लीः: भारतीय मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक एके बिंदुसार ने एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाते हुए देश के सभी मठों, मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों, चर्चों और मजारों, जैन मठों ,बौद्ध मठों और प्राचीन पुरातत्व खंडहरों पर चैरिटेबल ट्रस्टों के माध्यम से अवैध कब्जे हैं।
और इसमें से कुछ लोगों द्वारा आम जनता के अंदर धार्मिक भावना भड़काकर शोषण करने का आरोप लगाया है। उन्होंने इस स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए सरकार से इन सभी धार्मिक एवं पंथ स्थलों का अधिग्रहण करने और एक ‘सनातन बोर्ड’ के गठन की मांग की है।
एके बिंदुसार ने अपने वक्तव्य में कहा कि धर्म के नाम पर, जाति के नाम पर, भाग्य और भविष्य के नाम पर, काली छाया और भूत-प्रेत भगाने के नाम पर आस्तिक एवं नास्तिक के नाम पर आम जनता का आर्थिक दोहन किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि कई धार्मिक स्थलों पर अवैध कब्जे हैं और चैरिटेबल ट्रस्ट बनाकर लोगों का शोषण किया जा रहा है, जिससे धर्म के वास्तविक मूल्यों का हनन हो रहा है।
उन्होंने सरकार से पुरजोर मांग करते हुए कहा कि सभी मठों, मंदिरों, चर्चों, गुरुद्वारों, मस्जिदों और मजारों , बौद्ध मठों , जैन मठों का तत्काल अधिग्रहण किया जाए। इसके बाद, इन संस्थानों के संचालन के लिए पारदर्शी प्रक्रिया के तहत वैकेंसी निकालकर योग्य धार्मिक व्यक्तियों का चयन उनके पंथ के अनुसार किया जाए। उनका मानना है कि ऐसा करने से आम जनता का शोषण बंद होगा और लोगों को धर्म की सही जानकारी मिल सकेगी।
अपनी मांग को और अधिक स्पष्ट करते हुए एके बिंदुसार ने ‘सनातन बोर्ड’ के गठन का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि सभी धार्मिक एवं पंथ स्थलों को इस सनातन बोर्ड के अधिकार के अंतर्गत संवैधानिक रूप से अधिग्रहित कर लिया जाना अति आवश्यक और अनिवार्य है। उनका मानना है कि एक केंद्रीयकृत धार्मिक बोर्ड के माध्यम से इन संस्थानों, पंथों का प्रबंधन बेहतर ढंग से किया जा सकेगा और अनियमितताओं पर लगाम लगेगी।
एके बिंदुसार ने यह भी कहा कि जब तक धार्मिक एवं पंथ मजहबों के स्थलों पर व्याप्त भ्रष्टाचार और शोषण समाप्त नहीं होता, तब तक भारत का विश्व गुरु बनने का सपना पुनः साकार नहीं हो सकता। उन्होंने जोर देकर कहा कि धार्मिक स्थलों की पवित्रता और प्रबंधन में पारदर्शिता सुनिश्चित करना राष्ट्र के विकास और सांस्कृतिक उत्थान के साथ साथ मानव कल्याण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
भारतीय मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक द्वारा उठाया गया यह मुद्दा निश्चित रूप से देश के धार्मिक और सामाजिक परिदृश्य में एक नई बहस को जन्म दे सकता है। उनकी मांग पर सरकार और विभिन्न धार्मिक एवं पंथ व मजहबी समुदायों, की क्या प्रतिक्रिया होती है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।
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