
एटा । जिले में मिट्टी खनन का अवैध कारोबार अपने चरम पर पहुंच चुका है। खुलेआम जेसीबी और डंपरों से रात-दिन मिट्टी की खुदाई की जा रही है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह सब खनन विभाग की मिलीभगत से हो रहा है, और खनन अधिकारी आंख-कान बंद करके इस अवैध गतिविधि को नजरअंदाज कर रहे हैं।ग्रामीणों और जागरूक नागरिकों ने कई बार खनन अधिकारियों को इस अवैध कार्य के बारे में शिकायतें दीं, लेकिन अधिकारी हर बार महात्मा गांधी के तीन बंदरों की भांति “ना कुछ देखते हैं, ना सुनते हैं और ना बोलते हैं।” शिकायतों का कोई असर नहीं हुआ। उल्टे आरोप लग रहे हैं कि खनन अधिकारी मोटी रकम लेकर माफियाओं को संरक्षण दे रहे हैं।
राजनीतिक संरक्षण की भी आशंका
स्थानीय लोगों का कहना है कि इतने बड़े स्तर पर खनन बिना राजनीतिक संरक्षण के संभव नहीं है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह खनन यहां के विधायक या सांसद के इशारे पर हो रहा है? हालांकि अब तक किसी जनप्रतिनिधि की ओर से इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
प्रशासन की चुप्पी, जनता में रोष
प्रशासनिक अमले की चुप्पी ने जनता के बीच आक्रोश को और भड़काया है। कई क्षेत्रों में ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ही इस पर कार्रवाई नहीं हुई, तो वे सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे।
अब सवाल यह उठता है कि:
*आखिर किसके संरक्षण में हो रहा है यह अवैध खनन?
*क्या खनन अधिकारी खुद माफियाओं से मिले हुए हैं
*कब जागेगा प्रशासन और कब रुकेगा यह अवैध कारोबार?
जिला प्रशासन और शासन को इस गंभीर मुद्दे पर तत्काल संज्ञान लेना चाहिए, ताकि एटा की ज़मीन को माफियाओं से बचाया जा सके और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो।