पुलिस आरक्षी औरउसकीअनुशानहीनताकीपराकाष्ठाएटा महोत्सव में

.पुलिस आरक्षी औरउसकीअनुशानहीनताकीपराकाष्ठा
एटा महोत्सव में
बीती रात जिस तरह तहसीलदार एटा
के साथ पुलिस के सिपाही ने सार्वजानिक स्थल पर न केवल अभद्र आचरण कीया वल्कि अनुशासन की सुचिता को कलंकित कर दिया!
राजस्व कानूननो में मजिस्ट्रेटी होदा रखने वाले अफसर से पुलिस आरक्षी ने जिस तरह बहस करते हुऐ यह कहा की ऐ मुझसे उम्र में बड़े नहीं है यह शब्द अनुशासन के उस स्तम्भ को झकासजोर देने वाला है जो पद की गरीमा के अनुरूप राजआज्ञा को व्यवस्था में व्यवस्थित करने की जिम्मेदारी निभाता हो!
उत्तर प्रदेश में तहसीलदार को डिप्टी कलेक्टर की शक्तियां दी जाती हैं राज्य सरकार के प्रथम श्रेणी का राजपत्रत अधिकारी होता हें जिसकी नियुक्ति राज्य लोक सेवा आयोग करता है!
पर इधर यह कहना भी बेईमानी होंगी कि
सिपाहीअपनीड्यूटी पर मुस्तयत नहीं था
और उसकी ड्यूटी बिना पास जाने बालों को रोकने की नहीं थी!लेकिन बिना पास जाने वाले को रोकने के साथ-साथ सिपाही की ड्यूटी मौके की परिस्थिति को संभालने की भी थी
उसे देखना यह भी था किया तहसीलदार और तहसीलदार के परिवार कोअंदर जाने से व्यवस्था चौपट हो रही थी या शांति भंग!
यदि यह कर्त्तव्यबोध सिपाही के अंदर होता तो निसंदेह आज एटा प्रशासन की चारों तरफ की इतनी किरकिरी नहीं हो रही होती!यदि कोई कर्मचारी किसी अफसर से यह कहकर उलझें की वह उनकी उम्र के बराबर का तो यह कुशल प्रशासन के लिए उचित नहीं!

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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