
पहला चरण : कि उस देश के लीडर पर जनता की विश्वसनीयता खत्म कराओ। उदाहरण के लिए, जो मदरनंदन ने कहा था कि मैं मोदी की छवि खराब कर दूंगा। नतीजा राफेल के नाम पर भ्रष्टाचार के आरोप से लेकर EVM के नाम पर ये यकीन दिलाना कि तुम्हारा नेता चीटिंग करकर जीतता है। लेकिन आपको क्या पड़ी है जब आपकी जिंदगी बेहतर कट रही है…?
दूसरा चरण : कि उस देश पर आर्थिक हमला करो। क्योंकि जब बात आपकी जेब पर आएगी तब आप अपनी औकात दो मिनट में सिखाओगे।
तो क्या करें…?
कोई आंदोलन खड़ा करो और उसे आक्रामक और फिर हिंसात्मक बनाने की कोशिश करो। फिर सरकार जब उस आंदोलन को कुचलेगी तो या तो बहाना मिलेगा सेंक्शन लगाने का या फिर एडवाइजरी जारी करने का कि भारत सेफ नहीं है। न घूमने के लिए और न निवेश के लिए।
🔰 लेकिन सरकार यदि आंदोलन भी मैनेज कर दे तो क्या करें…?
तो फिर तीसरे चरण के तहत इन्हीं निवेशकों से लेकर आम जनता को डराने का काम करो। इसके लिए किसी अडानी पर हमला करो। फिर कह दो कि उसके साथ सेबी मिला हुआ है। ऐसे में निवेशक कहेगा कि भारत का बाजार एक फ्रॉड है जिसका गुब्बारा कभी भी फट सकता है। साथ ही अपने विपक्ष में बैठे कुत्तों से भी कहलवाओ कि भारत में निवेश सेफ नहीं है।
इसी के साथ ऐसा माहौल बनाओ कि अडानी पर तो पैसा LIC और SBI जैसे बैंकों का है। अर्थात जो पैसा आम जनता अपनी मुसीबतों के लिए बैंकों में जमा रखती है या भविष्य के निवेश के लिए पॉलिसी में लगाती है, वो तो डूब गया। और इसके लिए ट्वीट चलवाओ कि… “बेटी की शादी के लिए 15 साल से पैसे जोड़ रहा था, लगता है अब सब डूब जाएगा”
फिर चौथा चरण शुरू हो जाता है। यदि ऊपर के तीन चरण सफल हो गए। तीन चरणों में आपका नेता भ्रष्ट सिद्ध हो चुका, वो तानाशाह भी बन चुका आंदोलन कुचलकर और उसके रहते देश की आर्थिक स्थिति भी खराब हो चुकी है। तो चौथे चरण के आते-आते देश महंगाई में डूबा है, रोजगार खत्म हो चुके हैं, भूखमरी की स्थिति आ चुकी है, जनता अब त्रस्त है।
ऐसे में फिर आखिरी हमला करो जो है कि उस देश की फाल्ट लाइन क्या है…? अर्थात हिन्दू-मुस्लिम, क्षेत्रवाद, भाषावाद, जातिवाद, पंथवाद, पूंजीवाद-साम्यवाद आदि। और फिर उस देश के लीडर को वो घोषित कर दो, जिसके खिलाफ जनता की मानसिकता बन चुकी है। फिर शत्रु को एक काम करना है कि उस गृहयुद्ध की स्थिति में पैसा और हथियार और अफवाह (मीडिया) वो बराबर मैनेज करना है, बाकी जनता खुद ही कर देगी।
और इन सब चरणों के बीच ऊपर लिखी सभी बातें, समय-समय पर जनता के कानों में डालते रहो ताकि “100 बार वाला झूठ” अपने आप सच लगने लग जाए कि इतने लोग बोलते हैं, सच भी तो हो सकता है।।
अंत में, आर्मी और सुरक्षाबलों की भूमिका हमेशा याद रखें। ये लोग यदि पलटी मार दें किसी सरकार के विरुद्ध तो फिर हफ्ता भर नहीं लगता रिजीम चेंज होने में। इसलिए इनका भी सरकार से विश्वास हिलाओ या फिर इन्हें कुछ लालच दो कि तुम्हें सत्ता या बढ़िया ओहदा दिला देंगे।
हालांकि भारत के केस में सेना को हिलाना “नेक्स्ट टू इम्पॉसिबल” है लेकिन बाकी काम किये ही जा सकते हैं। या यूं कहें कि किये ही जा रहे हैं।
बाकी मेरी बात पर यकीन मत करो। आप लोग स्वयं इन चीजों को चेक करो कि जहां-जहां रिजीम चेंज हुए, वहां-वहां इनमें से क्या-क्या फेक्टर काम किये थे। या कुछ मुझसे रह गया हो तो वो भी बता सकते हो।
क्योंकि जिसे हम भारत पर हमला कहते हैं, वो असल में माध्यम है। मकसद होता है सत्ता का तख़्तापलट कर अपना पालतू कुत्ता कुर्सी पर बैठाना। फिर बाकी काम तो वो करेगा उनके लिए, उन्हें यहां आकर कुछ करने की जरूरत नहीं।
और जहां-जहां रिजीम चेंज हुआ, वहां ये भी चेक करो कि जिन्हें वहां जनता का मूर्ख बनाया गया उन्हीं के हाथों ये कहकर अपनी सरकार के विरुद्ध किया गया कि ये सरकार हट जाएगी तो सब सही हो जाएगा, तो वहां क्या-क्या सही हुआ या रिजीम चेंज के बाद उस देश की हालत क्या बना दी गई। सोचे और विचार करें।