50 प्रतिशत डी०ए०पी० सहकारिता विभाग को आवंटित की जायेगी

एटा, जिलाधिकारी प्रेमरंजन सिंह के द्वारा दिये गए निर्देशों के क्रम में जिला कृषि अधिकारी डॉ0 मनवीर सिंह ने बताया है कि शासन द्वारा निर्णय लिया गया है कि उर्वरक टी०ए०पी० की प्राइ‌वेट में आने वाली आगामी रैक से 50 प्रतिशत डी०ए०पी० सहकारिता विभाग को आवंटित की जायेगी। वर्तमान में जनपद में यूरिया, डी०ए०पी०, एन०पी० के०, एम०ओ०पी० तथा एस०एस०पी० उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता है जनपद में किसी भी प्रकार के उर्वरकों की कोई कमी नही है। जनपद में डी०ए०पी० तथा यूरिया सहित सभी प्रकार के उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता के साथ ही इनकी निर्धारित दरों पर बिकी की जा रही है। दिनांक 27.11.2024 को जनपद एटा में यूरिया 27570.49 मी०टन, डी०ए०पी० 4307.82 मी०टन, एन०पी०के० 1787.94 मी०टन, एग०ओ०पी० 5005.45 मी०टन एवं एस०एस०पी० 643.15 मी०टन की उपलब्धता है। जनपद में दिनांक 27.11.2024 को आई०पी०एल० कम्पनी की 2300 मी०टन टी०ए०पी० की आयी है, जिसमें सहकारिता विभाग में 800 मी०टन एवं निजी क्षेत्र में 1500 मी०टन बिक्री केन्द्रों पर पहुँचाया जा रहा है। कृषक भाई परेशान न हो।
उन्होंने बताया है कि सभी समितियों पर अतिरिका उर्वरक उपलब्ध कराया जा रहा है। किसी भी समिति में उर्वरक की कोई कमी नहीं है। इस सम्बन्ध में सहकारिता विभाग से भी अनुरोध किया गया है कि यह भी समितिवार उर्वरक उपलब्ध की सूचना जनहित में किसानों के बीच प्रबार प्रसार करते रहें। वर्तमान में जनपद में किसी भी प्रकार के उर्वरकों की किसी भी क्षेत्र में कमी नहीं है। रवी अभियान के तहत कृषक भाइयों द्वारा सरसी, गेहूँ एवं आलू की बुबाई की जा रही है। सरसों की बुबाई में किसान भाई एस०एस०पी० का प्रयोग अन्य उर्वरकों की तुलना में अधिक से अधिक करें, जिससे भूमि को अन्य तत्वों के साथ सल्फर भी मिल सके तथा गेहूं की बुबाई में डी०ए०पी० की तुलना में एन०पी० के० का प्रयोग अधिक करें, जिससे फसल को नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की उपलब्धता हो सके। जनपद के सभी उर्वरक विक्रेताओं को उर्वरक बिकी पर अनिवार्य रूप से कैश मेमो देने व पी०ओ०एस० मशीन से उर्वरक बिकी के साथ साथ स्टॉक / बिकी रजिस्टर को अपडेट रखने के लिए निर्देश दिये गये हैं एवं सभी कृषकों को पी०ओ०एस० मशीन से उनकी जोत के अनुसार उर्वरक देने हेतु निर्देशित किया गया है। कृषक भाई सन्तुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करें और अनावश्यक रूप से किसी भी उर्वरकों का भण्डारण न करे।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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