न्यायालय में विचाराधीन मामला: पीड़ित ने चौकी इंचार्ज पर लगाए गंम्भीर आरोप, एसपी से शिकायत कर न्याय की लगाई गुहार
फतेहपुर। जिले में कुछ पुलिसकर्मियों की कारगुजारी से अक्सर पुलिस विभाग की छवि दागदार होती रहती है। राजस्व के मामलों में भी बिना बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति हस्तक्षेप करने से बाज नहीं आते। न्यायालय के अधीन विचाराधीन मामलों में माननीय जज की भी कोई परवाह नही। न्यायालय में विचाराधीन जमीन, मकान और दुकान के मामलों में पुलिस के बढ़ते हस्तक्षेप पीड़ितों के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं। ऐसे में एकमात्र सहारा न्यायालय भी पुलिस की दखलंदाजी के समक्ष बौना साबित होता जा रहा है।
ईमानदार पुलिस अधीक्षक अपने तरीको से समय समय पर कर्मचारियों और अपने मातहतों के लगातार पेंच सकते रहे हैं। ताकि कोई चूक और अनहोनी न हो और लाईन आर्डर मेनटेन रहे, लेकिन कुछ मातहत बट्टा लगाने में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
आपको बताते चलें कि एक शिकायत कर्ता पीड़ित अनिल कुमार गौड़ पुत्र रामचन्द्र गौड़ निवासी चकबरारी बिलान्दा थरियांव फतेहपुर ने पुलिस अधीक्षक से लिखित शिकायत कर न्याय की गुहार लगाई है कि लगभग 22 वर्ष पहले बलबीर सिंह निवासी हसनापुर थरियांव से एक दुकान किराये पर ले रखा था और उसमें किराने की दुकान का संचालन करता चला आ रहा है। प्रार्थी का व उसके परिवार का जीवनपार्जन इसी दुकान से ही होता है। बलवीर सिंह की गुजर जाने के बाद उनके वारिस पुत्र मोनू सिंह एवं राहुल सिंह को प्रार्थी बतौर दुकान का किराया देते आ रहे हैं और वारिसान लेते रहे। स्व.बलबीर सिंह के वारिस मोनू एवं एवं राहुल की नियत में पता नहीं कब कपट आ गया कि पीड़ित का पैसा वापस न करना पड़े और प्रार्थी के ऊपर दुकान खाली करवाने को लेकर जबरन दबाव बनाने लगे, प्रार्थी ने जब दुकान खाली करने से मना किया और अपना एडवांस पैसा वापस मांगा तो उक्त लोग झगड़े पर अमादा हो गये और दुकान का समान बाहर फेंकने की धमकी देने लगे।
पीड़ित ने बताया कि जब लगा कि उसका समान फेंक दिया जायेगा एवं उसका समान खराब हो जायेगा तब मजबूरन माननीय जनपद न्यायालय फतेहपुर के सिविल जज जूनियर डिवीजन की शरण में जाकर वाद संख्या 232/24 अनिल कुमार गौड़ बनाम मोनू सिंह आदि पर एक वाद योजित किया। वाद की जानकारी होने पर विपाक्षी मोनू सिंह एवं राहुल सिंह ने योजनावद्ध तरीक़े से उक्त दुकान को हमारे ही गांव के सुभाष चन्द्र गुप्ता एवं मूलचंद गुप्ता को बिक्रय कर दिया बताया गया एवं दिनांक 24/09/24 को उक्त चारों लोगों पर आरोप लगाया गया कि गाली गलौज करने के साथ अभद्रता की और अश्लील शब्दों से नवाज़ने और मारने लगा गये और लोगों के बीच बचाव करने के बाद जान बच पाई।
इस झगड़े की सूचना हस्वा चौकी इंचार्ज सुमित देव पाण्डेय को दी गई तो उन्होंने बगैर पूरा मामला जाने-समझे पीडित को गाली गलौज करते हुए उक्त दरोगा ने कहा कि मादर…दुकान खाली क्यो नहीं करता है और धमकी दी गई कि 15 दिन के अन्दर दुकान खाली कर देना वर्ना ऐसा मुकादमा लगाऊंगा कि पूरी जिंदगी जेल में ही सड़ेगा।
वहीं पीड़ित के भतीजे ने बताया कि हस्वा चौकी इंचार्ज से न्याय उम्मीद टूटने के बाद पुलिस अधीक्षक के पास गये। पीड़ित के माने तो पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इसमें पुलिस का कोई रोल नहीं है मामला जब न्यायालय चला गया है तो जो न्यायालय का आदेश होगा उसी का पुलिस मात्र अनुपालन कराने का काम करेगी।