
*बहुत कठिन है डगर पनघट की।*
*क्या गुल खिलाएगी भाजपा की अंतर्कलह।*
*भाजपा-सपा तू डाल डाल,मैं पांत पांत वाली कहावत पर आधारित है एटा लोकसभा चुनाव।*
निशा कांत शर्मा की कलम से
भारत की आजादी के उपरांत प्रथम लोकसभा चुनाव में एटा से 1952 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के रोहन लाल चतुर्वेदी ने पहला चुनाव जीतकर सांसद बनने का गौरव हासिल किया था।1957 के लोकसभा चुनाव में हिन्दू महासभा से विशुन चन्द्र सेठ ने चुनाव लड़ा और ऐतिहासिक जीत दर्ज की।सेठ विशुन चन्द्र के विषय मे एक किदवंती बहुत प्रचारित है। *कि उन्होंने दरमियांने चुनाव मुस्लिम लोगों के मध्य एक ही बात कही कि आप मेरे डिब्बे में हांथ न लगा देना, नहीं तो मुझे यह डिब्बा गंगा जी मे डुबोकर पाक करना पड़ेगा।उनकी इस बात पर मुस्लिम समाज ने खूब वोट दिए और कहा कि जा इस डिब्बे को गंगा जी मे पाक कर।* क्योंकि अनपढ़ मुस्लिम समाज उस समय गंगा जी से नफरत करता था।तदोपरांत 1967 से 1971 तक पुनः रोहन लाल चतुर्वेदी सांसद बने।एटा में रेलवे लाइन लाने का श्रेय उन्हीं को है।1977 में एटा लोकसभा से कांग्रेस द्वारा लगाई गई इमरजेंसी के सताए हुए जनता ने जनता पार्टी से लड़े डॉ0महादीपक सिंह शाक्य ने विजयश्री प्राप्त कर सभी को आश्चर्य चकित कर दिया।1980 में कांग्रेस के प्रत्याशी मुशीर अहमद ने एटा सीट पर कब्जा जमाया।1984 के लोकसभा चुनाव में जहाँ कांग्रेस लहर में पूरे भारत मे पूर्ण बहुमत की सरकार बनी वही एटा से कांग्रेस प्रत्यासी को भारतीय लोकदल प्रत्याशी मो0महफूज अली खां उर्फ प्यारे मियां ने कड़ी चुनौती देते हुए पटकनी देकर जो इतिहास रचा वह सर्वविदित है।उसके उपरांत 1989 से 1998तक भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी डॉ0 महादीपक सिंह शाक्य ने लगातार जीत दर्ज कर 6 बार सांसद बनने का इतिहास रचा।1999से 2004 तक सपा के कु0देवेंद्र सिंह यादव ने चुनाव जीतकर पहली बार सपा का परचम लहराया। 2009 में भाजपा से अलग हुए और राष्ट्रीय जनक्रांति पार्टी से मा0कल्याण सिंह ने सांसद बनने का गौरव प्राप्त किया।उसके बाद 2014 से 2019 और2024 तक कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह ने भाजपा का परचम लहराया।2019 के लोकसभा एटा चुनाव में राजवीर सिंह राजू भैया ने कुं0 देवेंद्र सिंह यादव को 1लाख 22 हजार मतों से हराकर दुबारा सांसद बने।वर्तमान में लोकसभा एटा में लगभग17 लाख मतदाता सांसद के भाग्य का निर्णय करेंगे।कुल मिलाकर 2024 का लोकसभा चुनाव बहुत ही प्रतिष्ठा का चुनाव नजर आ रहा है।जहां एक तरफ भाजपा प्रत्याशी हैट्रिक लगाने की जुगत में लगे हुए हैं, वही उनको भाजपा की अंतर्कलह का भी सामना करना पड़ रहा है।दूसरी तरफ सपा ने शाक्य समाज के प्रतिष्ठित राजनीतिक विनय शाक्य के छोटे भाई देवेश शाक्य को मैदान में उतार कर भाजपा प्रत्यासी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।यादव,शाक्य, लोधी बाहुल्य सीट होने की बजह से यहाँ का सवर्ण किसी भी प्रत्यासी के भाग्य का फैसला अपने मताधिकार का प्रयोग कर करेगा।कुल मिलाकर सपा और भाजपा में लोकसभा क्षेत्र एटा को लेकर काफी जद्दोजहद चल रही है।फिर भी लोकसभा चुनाव एटा में यह कहावत सटीक बैठती है, कि बहुत कठिन है डगर पनघट की।