वन विभाग व पुलिस प्रशासन की मिली भगत से जनपद में धड़ल्ले से हो रहा अवैध आरा मशीनों का संचालन

वन विभाग व पुलिस प्रशासन की मिली भगत से जनपद में धड़ल्ले से हो रहा अवैध आरा मशीनों का संचालन#*
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*जहां सबसे बड़ी बात प्रदेश में पौधे लगाने के मामले में सरकार ने विश्व रिकॉर्ड बनाया।#*
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*#साथ-साथ पर्यावरण को बचाने के लिए घर-घर हरियाली का संदेश भी दिया जा रहा है।#*

वही सूत्रों की माने तो जनपद के 11 विकास खण्डों के अंतर्गत मसौधा,सोहावल,बीकापुर,मिल्कीपुर,हैरिंग्टनगंज,मया बाजार,पूरा बाजार,अमानीगंज,तारुन,मवई,रुदौली में अवैध आरा मशीनों का हो रहा संचालन

वही वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी हरियाली का पाठ पढ़ाने में नहीं छोड़ते कोई कोर कसर

यदि एक नजर वन विभाग की जिम्मेदार अधिकारियों पर डाली जाए तो रेंजर से लेकर वन दरोगा तक यदि किसी भी पत्रकार के द्वारा हरे पेड़ ठेकेदारों के द्वारा काटने की सूचना दी जाती है तो कार्यवाही का आश्वासन तत्काल ही देते हैं।

तत्पश्यात पत्रकार कहां का है किस क्षेत्र का है उसके बाद वन दरोगा मौके पर जाकर ठेकेदारों से मिलीभगत करने में नहीं छोड़ते कोई कोर कसर

वही अबैध आरा मशीन चलाने के एवज में वन विभाग के फॉरेस्टर व रेंजर तथा सम्बंधित क्षेत्र के थाना प्रभारी नजराना लेकर अपनी ज़िम्मेदारियों से मुकर जाते हैं जिससे अवैध आरा मशीन संचालक के हौसले बुलन्द रहते हैं।

आज यही कारण है कि प्रदेश भर में संचालित अवैध आरा मशीनें हरियाली की दुश्मन बनी हुईं हैं।

वही अपनी मजबूरी गिनाते हुए एक आरा मशीन संचालक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, हम लोगों को लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन पुख्ता कराना पड़ता है। स्टॉक रजिस्टर रखना पड़ता है। मंडी समिति (3000 रुपये प्रति माह) वन विभाग (15000/-),सेल्स टैक्स (2500/-)प्रदूषण विभाग,अग्नि शमन यंत्र और प्रति वर्ष उन की जाँच, बिजली विभाग ,लेबर डिपार्टमेंट ,नगरनिगम आदि विभागों में प्रति वर्ष निर्धारित फीस तो देनी ही पड़ती है। ‘

*ऊपर से हर महीने भी कुछ न कुछ रुपये पहुंचाने पड़ते हैं हम से सुखी तो बिना लाइसेंस वाले हैं वो ज्यादा कमाते हैं।*

आखिर ऐसे जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारियों के ऊपर जिला प्रशासन के द्वारा क्या कार्रवाई की जाएगी जिनकी मिली भगत से अवैध आरा मशीनों का हो रहा संचालन

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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