
*जाने जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त और दिन* *इस साल 11अगस्त को मनाई जाएगी जनमाष्टमी* *—————————————-* 1-: भाद्रपद की कृष्ण अष्टमी को हुआ था भगवान श्रीकृष्ण का जन्म 2-: माना जाता है कि रोहिणी नक्षत्र में हुआ था भगवान श्रीकृष्ण का जन्म जन्माष्टमी का त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है. हालांकि, इस साल भी पिछले साल की तरह कृष्ण जन्माष्टमी की तिथि को लेकर लोगों के बीच उलझन बनी हुई है. देशभर के कुछ हिस्सों में 11 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जा रही है तो वहीं कुछ अन्य हिस्सों में जन्माष्टमी का त्योहार 12 अगस्त को मनाया जा रहा है. दरअसल, माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद यानी कि भादो माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी (निशीथ काल) को हुआ था, जो इस साल 11 अगस्त को है. वहीं ये भी माना जाात है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद यानी कि भादो महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इस वजह से यदि अष्टमी तिथि के हिसाब से देखा जाए तो 11 अगस्त को जनमाष्टमी होनी चाहिए, लेकिन रोहिणी नक्षत्र को देखों तो फिर 12 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी होनी चाहिए. ऐसे में कुछ लोग 11 तो वहीं कुछ अन्य 12 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाएंगे. परन्तु जो धर्मशास्त्र का जो मत है वह यह है कि-: *”सा च कृष्णदिमासेन भाद्रपद कृष्णाष्टमी ।* *तथा भाद्रपदे मासी कृष्णाष्टम्यां कलौ युगे।।* *अष्टाविंशतिमे जात: कृष्णोसौ देवकीसुत: ।।* भगवान का जन्म अष्टमी में अठ्ठाइसवे युग में हुआ था आगे लिखते है *”दिवा वा यदिवा रात्रौ नास्ति चेंद्रौहिणी कला।* *रात्रि युक्तां प्रकुर्वीत विशेषेणेन्दु संयुताम् ।।निर्णय सिंधु* यदि अष्ठमी में रोहिणी नक्षत्र की कला हो या ना हो चंद्रमा में की कला होना अनिवार्य है वही अष्टमी मान्य है इसी मतानुसार 11 को ही अष्टमी मान्य है हालांकि, मथुरा में 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी. *जन्माष्टमी का महत्व-:* श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है. हिंदू धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व है और इसे हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है. माना जाता है कि सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में आंठवा अवतार लिया था. देश के सभी राज्यों में अलग-अलग तरीके से इस त्योहार को मनाया जाता है.जन्मोत्सव के दिन मंदिरों सहित घर-घर भगवान के झूले सजेंगे।और विशेष पूजा-अर्चना होगी। मंदिरों में मनमोहक झांकी के साथ ही भगवान के दर्शन होंगे। देशभर के विभिन्न मंदिरों में मध्य रात्रि भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस अवसर पर भगवान को झूला झुलाने और उनकी एक झलक पाने के लिए भक्तों की कतार लगेगी। बाल-गोपाल की रहेगी धूम। कई शहरों के विभिन्न चौक-चौराहों पर दही-हांडी की प्रतियोगिता होगी। गीत-संगीत के साथ ही बाल-गोपालों की धूम रहेगी। बाजे-गाजे के साथ ही गोपालों की टोलियां निकलेंगी और दही-हांडी फोड़ प्रतियोगिता के साथ कृष्ण जन्मोत्सव देर रात्रि तक रहेगा l पूजन सामग्री:– श्रीबालकृष्ण की सोने,चांदी, तांबा, पीतल अथवा मिट्टी की (जो संभव हो ) मूर्ति। श्रीगणेश की मूर्ति। बालकृष्ण की मूर्ति के स्नान के लिए तांबे का पात्र, तांबे का लोटा,गंगाजल का कलश,घी दूध,दही,शहद, देव मूर्ति को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र व आभूषण एवं पालना। पंच पल्लव :-बड़,गूलर, पीपल, आम और पाकर के पत्ते आदि।औषधि:-जटामॉसी,शिलाजीत आदि।कपूर, केसर,यज्ञोपवीत,चावल,अबीर, गुलाल, अभ्रक, हल्दी, नाड़ा, रुई, रोली,सुंगंधित धुप, सुपारी, मौली आदि। इलायची (छोटी), लौंग,धान्य (चावल, गेहूं),नई थैली में हल्दी की गांठ,धनिया खड़ा, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, कुशा व दूर्वा, पंचमेवा आदि। कुमकुम, दीपक, तेल, रुई,अष्टगंध, तुलसी, तिल,श्रीखंड चन्दन, पुष्प (गुलाब एवं लाल कमल),पान का पत्ता,ताम्बूल (लौंग लगा पान का बीड़ा) आदि। प्रसाद के लिये:- नैवेद्य या मिष्ठान्न (पेड़ा, मालपुए इत्यादि), माखन, मिश्री,फल, दूध,मिठाई, नारियल, पंचामृत, सूखे मेवे, शक्कर,ऋतुफल,मोदक आदि । || पूजन विधि || व्रत की पूर्व रात्रि को हल्का भोजन करें । व्रत के दिन प्रातःकाल स्नानादि नित्यकर्मों से निवृत्त होकर,सूर्य, सोम, यम, काल, संधि, भूत, पवन, दिक्पति, भूमि,आकाश, खेचर, अमर और ब्रह्मादि को नमस्कार कर ले। तत्पश्चात, पूर्व या उत्तर मुख करके,पीला आसन पर बैठ कर,जल, फल, कुश और गंध लेकर। निम्नलिखित मंत्र से व्रत का संकल्प लें। संकल्प-: मम अखिल पाप प्रशमन पूर्वकं सर्वाभीष्ट कामना सिद्धम् श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत कर्मणा सांगता सिध्यर्थम् श्री बाल कृष्ण पूजा$महं करिष्ये l रात्रि में,पूजा के समय , सर्वप्रथम श्रीगणेश की पूजा करें। श्रीगणेश की मूर्ति को स्नान कराकर,वस्त्र अर्पित करें। गंध, पुष्प ,धूप ,दीप, अक्षत से श्रीगणेश की पूजन करें। श्रीगणेश को मोदक,लड्डू ऋतुफल आदि का भोग लगायें। तत्पश्चात,श्रीबालकृष्ण का आवाहन निम्नलिखित मंत्र के द्वारा करें। मंत्र:- ॐ सहस्त्र शीर्षाः पुरुषः सहस्त्राक्षः सहस्त्र-पातस-भूमिग्वं सर्वत्यसपृत्वातिष्ठ दर्शागुलाम्। श्री कृष्णम् आवाहयामि॥ तत्पश्चात,श्रीबालकृष्ण को जल से,शहद से ,दही से,दूध से,घी से अथवा पंचामृत से स्नान करायें। और पुन: जल से स्नान कराएं। स्नान करवाते हुए, निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें। मंत्र:– पुष्प रेणु समुद-भूतं सुस्वाद मधुरं मधु । तेज-पुष्टिकरं दिव्यं स्नानार्थं प्रतिगृहयन्ताम् ।। श्रीबालकृष्ण को वस्त्र समर्पण करते हुए,निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें। मंत्र:- शति-वातोष्ण-सन्त्राणं लज्जाया रक्षणं परम् । देहा-लंकारणं वस्त्रमतः शान्ति प्रयच्छ में।। श्रीबालकृष्ण को पालने में आसन समर्पित करते हुए,निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें। मंत्र:- ॐ विचित्र रत्न-खचितं दिव्या-स्तरण-सन्युक्तम् । स्वर्ण-सिन्हासन चारू गृहिश्व भगवन्श श्रीकृष्ण पूजितः।। श्रीबालकृष्ण को श्रीखण्ड चन्दन अर्पण करतें हुए,निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें। मंत्र:- ॐ श्रीखण्ड-चन्दनं दिव्यं गंधाढ़्यं सुमनोहरम् । विलेपन श्रीकृष्ण चन्दनं प्रति गृहयन्ताम् ।। श्रीबालकृष्ण को यज्ञोपवीत समर्पण करतें हुए,निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें। मंत्र:- नव-भिस्तन्तु-भिर्यक्तं त्रिगुणं देवता मयम् । उपवीतं मया दत्तं गृहाण परमेश्वरः।। तत्पश्चात,श्रीबालकृष्ण पर पुष्प माला एवं तुलसीमाला अर्पित करें। भगवान को फल,मिठाई,नेवैध या मिष्ठान,मक्खन, मिश्री,ऋतुफल,पंचामृत,तुलसी एवं अन्य पूजा की सामग्री अर्पित करें। श्रीबालकृष्ण को अर्घ्य समर्पण करतें हुए,निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें। मंत्र:- ॐ पालनकर्ता नमस्ते-स्तु गृहाण करूणाकरः। अर्घ्य च फ़लं संयुक्तं गन्धमाल्या-क्षतैयुतम् ।। श्रीबालकृष्ण को नारियल फल समर्पण करतें हुए,निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें। मंत्र:- इदं फ़लं मया देव स्थापित पुर-तस्तव | तेन मे सफ़लानत्ति भरवेजन्मनि जन्मनि || श्रीबालकृष्ण को ताम्बूल (लौंग लगा पान का बीड़ा) अर्पित करतें हुए,निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें। मंत्र:- ॐ पूंगीफ़लं महादिव्यं नागवल्ली दलैर्युतम् । एला-चूर्णादि संयुक्तं ताम्बुलं प्रतिगृहयन्ता।। श्रीबालकृष्ण को सुगन्धित धूप अर्पण करतें हुए,निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें। मंत्र:- वनस्पति रसोद भूतो गन्धाढ़्यो गन्ध उत्तमः। आघ्रेयः सर्व देवानां धूपोढ़्यं प्रतिगृहयन्ताम् ।। तत्पश्चात भगवान के सामनें हाथ जोङ कर,ध्यान की मुद्रा में रहकर। निम्नलिखित मंत्र का जप,1-माला अथवा यथासंभव करें। || श्रीकृष्ण मंत्र || कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम:।। (*इस मंत्र के जप से परिवार में सुख-शांति का वास होता है,एवं दुख-दरिद्रता,कलह का नाश होता है।) तत्पश्चात,धुप,दीप,कपूर आदि से श्रीकृष्ण की आरती करें। अन्त मे,भगवान श्रीकृष्ण के सामनें हाथ जोङ कर,कष्ट दुर करनें एवं संकट से मुक्ति के लिये प्राथॆना करें । भगवान श्रीकृष्ण से अपने समस्त अपराधों के लिये एवं पूजा में हुई किसी त्रुटि या भुल्- चूक के लिए क्षमा माँगें। रात्रि जागरण करतें हुए,पालने को झूला करें। एवं भगवान का भजन करें। जागरण के समय,श्रीकृष्णा चालीसा,श्रीकृष्ण सहस्त्रनामवाली,श्रीमदभगवद्गीता आदि का पाठ करना विशेष लाभकारी होगा। श्रीकृष्ण के इन मन्त्र का जप करना भी फलदायक होगा। मंत्र:- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।। ॐ क्लीं कृष्णाय नमः l दूसरे दिन पुन: स्नान कर जिस तिथि एवं नक्षत्र में व्रत किया हो। उसकी समाप्ति पर व्रत पूर्ण करें। *राशि अनुसार जन्माष्टमी व्रत का फल* ————————————————— मेष – राज्य पद प्राप्ति व आकस्मिक धन की प्राप्ति । वृष – ऐश्वर्य प्राप्ति। मिथुन – सभी मनोकामना की पूर्ति । कर्क – शत्रु बाधा का निवारण। सिंह – आरोग्य की प्राप्ति। कन्या – दांपत्य सुख प्राप्ति । तुला – संकटों का निवारण । वृश्चिक – आरोग्य प्राप्ति । धनु – धर्म एवं ज्ञान प्राप्ति । मकर – संपत्ति की प्राप्ति । कुंभ – राज सम्मान की प्राप्ति । मीन – सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।