
प्राय: हिंदुओं के त्यौहार दो दिन हो
जाते हैं । इस बार भी यही स्थिति है ।
नंदगांव वाले ११ अगस्त को और मथुरा कृष्ण जन्म
भूमि वाले १२ अगस्त को मनायेंगे ।
श्रीकृष्ण जन्म अष्टमी रोहिणी नक्षत्र में अर्द्धरात्रि को हुआ था ।
११ -८ को प्रात: ९-०७ मिनट से १२-८को ११-१७ मिनट तक अष्टमी है । यद्यपि अर्द्धरात्रि को भरणी नक्षत्र
रहेगा ।
१२-८को अर्द्धरात्रि में नवमी रहेगी और कृतिका नक्षत्र र हेगा ।
अत:१२-८को जन्माष्टमी मनाना कृष्णजन्म भूमि की सूर्योदयी अष्टमी की परम्परा मात्र है । वस्तुत: यह जन्म के बाद का जन्मोत्सव है जन्माष्टमी नहीं ।
शास्त्र के अनुसार सप्तमी विध्दा अर्धरात्रिव्याप्त अष्टमी ही जन्माष्टमी के रूप में ग्राह्य है और स्मार्त ग्रहस्थी जन
के लिये यही शास्त्र का निर्देश है ।
अत: ग्रहस्थ जन को ११-८-को ही जन्माष्टमी व्रत रखकर
अर्द्धरात्रि में जन्माष्टमी मनाना शास्त्र के अनुकूल है । अगले दिन मथुरा जन्मस्थान पर या तदनुकरण में अन्य
मन्दिरों में उत्सव का आनन्द अवश्य लें । वैसे भी इस बार
त्यौहार तो घर पर और टी वी पर ही मनाये जाने हैं ।
जो वैष्णव संन्यासी हैं वे १२-८ को मनायें तो मना सकते हैं ।
किंतु ग्रहस्थ जन को अर्द्धरात्रि व्यापनी अष्टमी ११- ८को ही
व्रत पूजन और चन्द्रमा को अर्घ्य देना उचित है यह शास्त्र का निर्देश है ।
ओउम् श्रीकृष्णाय परमात्मने नमः:।कवि याद राम किंकर