
तमिल के फिल्मों को हिंदी में डबेट करने पर सेंसर बोर्ड लगाए रोक तमिल भाषियों से अधिक हिंदी भाषा बोलने वालों की जनसंख्या तमिलनाडु में है…
किसी के भाषा को लेकर किसी की आजादी और किसी के अधिकार छीनने का अधिकार किसी को नहीं है।
प्रयागराज-तमिल फिल्म को हिंदी में डबेड करने पर लगे रोक सेंसर बोर्ड निर्णय लें हिंदी भाषियों पर तमिल फिल्म थोपने की जरूर नहीं जब तमिलनाडु सरकार हिंदी को स्थान नहीं देंगे तो तमिल भाषा को भी स्थान देने की कोई जरूरत नहीं है वह सिर्फ अपने राज्य तक सीमित रहे।
जिस प्रकार से एम के स्टालिन हिन्दी भाषा को थोपने का बात कर रहे हैं उसी प्रकार से हम भी तीसरी भाषा तमिल भाषा को थोपने ने के लिए मना कर रहे हैं क्योंकि तमिल की बहुत सारी मूवी है जो हिंदी में डब्ड होती हैं और अच्छा खासा पैसा भी कामाती है तब इनको हिंदी से ऐतराज नहीं है जब उनके खजाने में पैसे भर रहे हैं मतलब पैसे लेने के लिए हिंदी भाषाओं का उपयोग और उसके सम्मान के लिए उसे स्थान न देना यह कहां तक उचित है।
भाषा सीखने को सभी को आजादी है कोई भी किसी भी भाषा में पढ़ने का अधिकार रखता है उसपर आप जबरन कोई पाबंदी नहीं लगा सकते नई शिक्षा नीति थोपीं नहीं जा रही है बल्कि वहां पर रह रहे हिंदी भाषीयों हिंदी में पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के लिए क्या भाषा सीखने का अधिकार हर व्यक्ति के पास है।
हिंदी में भी पढ़ाई करने के लिए तीसरी भाषा को इंक्लूड किया जा रहा है जो होना भी चाहिए क्योंकि देश में हिंदी बोलने वालों की संख्या ज्यादा है और वह लगभग हर जगह में हर राज्य में रह रहे हैं लोगों का एक राज्य से दूसरे राज्य आना-जाना भी है जिसे तमिल आ रही है वह तो तमिल जान सकता है पढ़ सकता है।
तमिल और हिंदी में चढ़ा विवाद रुकने का नाम नहीं ले रहा है तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के कई भाषण कई स्पीच भी है वो हिंदी भाषाओं को देखना भी पसंद नहीं करते हैं अपने राज्य से हिंदी भाषियों को भगाने का भी बात करते दिखते हैं हमपे हिंदी कोई थोप नहीं सकता बहर हाल कुछ समय पहले बिहारी हिंदी भाषिय मजदूरों को लेकर पत्रकार मनीष कश्यप ने भी कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किए थे जिनके ऊपर गलत तरीके से कानूनी कार्रवाई की गई उन्हें जेल के अंदर भी रखा गया।
अब यह नई शिक्षा नीति के लिए भी बीच में खड़े दिख रहे हैं जिससे शिक्षा मंत्रालय द्वारा दिए जाने वाले फंड को रोकने की भी बात की जा रही है जो की एक तरह से उचित है क्योंकि किसी के पास किसी की अधिकार से खेलने का अधिकार नहीं है और ना ही किसी को उससे अन्य भाषा में पढ़ाई करने से रोक सकते हैं।
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन उनके बेटे की ऐसे कई भाषण है जिसमें सनातन को निशाना बनाने हुएं उसे खत्म करने की भी बात करते हैं और जहां तक देखा जाए वह पेरियार के विचारों पर राज्य को खड़ा करना चाहते हैं उन्हें नहीं पता है कि अंततः वह उस राज्य को खुद अंतिम दायरे में ले जा रहे हैं।